________________ नीति-शिक्षा-संग्रह प्राप्त करने के लिये भरपूर कोशिशों पर कोशिशें की जायँ, मगर सफलता न हो तो कहाजायगा कि 'प्रारब्ध' बलवान् है / / 7 फल की प्राप्ति का कारण प्रत्यक्ष में तो कुछ नजर नहीं आता; परन्तु इस बात का निश्चय है कि पूर्व-जन्म के कर्म के अनुसार ही फल मिलता है। ___8 अक्सर देखते हैं कि मनुष्य को थोड़ा सा यत्न करने से भी बड़ा फल मिल जाता है / उसे पूर्व के कर्म का फल समझना चाहिये। 6 अच्छे कर्म करने से अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्म करने से बुरा फल मिलता है। इसलिये शास्त्र द्वारा अच्छे और बुरे कामों का निर्णय कर बुरे कामों को छोड़ देना और अच्छों को ग्रहण करना चाहिये। 10 अगर राजा उत्तम नीति में निपुण नहीं होता, तो प्रजा इस भांति नाश हो जाती है, जैसे विना मल्लाह की नाव समुद्र में डूब जाती है। 11 हर एक मनुष्य को उचित है कि विषय-रूपी वनमें फिरते हुए, इन्द्रिय-रूपी हाथी को,ज्ञान-रूपी अंकुश से अपने अधीन करे / - 12 मन विषय रूपी मांस का लोभी होता है। मन ही इन्द्रियों को विषय-भोगों की ओर चलायमान करता है; अतः मन को वश में करना चाहिये / एक गन के वश करने से दशों इन्द्रियाँ वश में