________________ सेठियाजेनग्रन्थमाला हो जाती हैं / जो मनुष्य मन को वश में कर लेता है, वह जितेन्द्रिय कहलाता है। 13 सांसारिक विषय-भोग नाशवान और परिणाम में नीरस हैं / जिस का मन विषयों में लिप्त रहता है, वह हाथी के समान बन्धन में पड़ता है। 14 जङ्गल में रहने वाला, घासपर जिन्दगी बसर करने वाला, शुद्ध हिरन शिकारी के सुरीले राग पर मोहित होकर जान दे देता है / मतलब यह है कि, एक कर्णेन्द्रिय-कान के आधीन होकर हिरन अपने प्राण खो देता है। 15 पर्वत की चोटी के समान आकार वाला, खेल में बड़े बड़े वृक्षों को उखाड़ डालने वाला, महा बलवान् हाथी, हथनी से भोग करने के लिये बन्धन में फँस जाता है / मतलब यह है कि, हाथी अपनी स्पर्शन इन्द्रिय के वश में होकर पकड़ा जाता है। 16 पतङ्ग को दीपक की शिखा बहुत प्यारी मालूम होती है / वह उस की खूबसूरती पर आशिक होकर, उस पर झपटता और जल-बल कर खाक हो जाता है / तात्पर्य यह है, कि पतङ्ग अपनी नेत्र इन्द्रिय-आंख-के वश में होकर प्राण गँवा देता है। 17 अथाह जल में डूबी हुई मछली मांस रस के लालच में माकर, मांससहित काटे को पकड़ लेती है और मारी जाती है / यानी वह एक जिह्वा-इन्द्रिय-जीभ के वश होकर अपने प्राण खो बैठती है।