________________ (76) सेठियाजेनग्रन्थमाला नासिका के दोनों द्वार अच्छी तरह खुले न रहते हों-चिपटे रहते हों, वह बोड़ा रोगादि का उपद्रव करता है / जिस वोड़े की नासिकाएँ भीतर से भी दोनों कठोर और चिकनाई रहित हों, उस घोडे का त्याग करने से ही कुटुम्ब आदि की वृद्धि होती है / जिस घोड़े की. दोनों नासिकाओं पर गुच्छेदार तथा अत्यन्त लम्बे बाल हों, वह मोड़ा शत्रु भादि का भय उत्पन्न करता है / 45 घोड़े के मुँह का लक्षण-जिस घोड़े के मुँह से मुर्दे की सी दर्गन्ध निकलती है, वह रोगादि उपद्रव बढ़ाने वाला होता है। जिस घोड़े के मुँह से कमलसी सुगन्ध निकलती हो, ऐसा घोड़ा रखने वाले पर राजा आदि की कृपा होती है तथा लक्ष्मी कीर्ति आदि बढ़ती है। जिस घोड़े के मुँह से कडुवा श्वास निकलता है, वह कुटुम्ब तथा लश्मी की हानि करता है। जिस घोड़े का श्वास बिलकुल शीतल होता है, वह लड़ाई में शत्रुपक्ष का पराभव करता है। जिस घोड़े का श्वाः प थोड़ा गर्म हो, वह तेजी तथा चिंतित काम करने वाला होता है। जिस घोड़े का श्वास अत्यन्त उष्ण हो, वह किसी न किसी समय अपने सवार की मृत्यु करने वाला होता है। - 46 घोड़े के दांतों का ह क्षण- जिस घोड़े के दांत दाडिम की बड़ी कलियों के समान थोड़े नाल और सफेद होते हैं, वह घोड़ा अपने स्वामी को सार्वभौम (च तवर्ती) राजा बनाता है। जिस . घोड़े के दांतों का रंग पीला होता है, यह देश में दुष्काल आदि