________________ माति-शिक्षा संग्रह 74 किसी की निन्दा न करो, यदि निन्दा करना ही चाहो तो अपने आत्मा की कगे। ___ 75 विना सोचे विचारे कोई काम न करो। किसी के साथ छल, कपट न करो / किसी को मर्मवेधक कटुवचन न बोलो और अपराधी पर भी क्षमा सीखो। - 76 यदि तुम अपना भला चाहो तो दूसरे का भला करो, और अपनी इज्जत चाहो तो दूसरे की इज्जत करो / / 77 गाड़ी घोड़ा मोटर आदि सवारी को शर्त लगा कर या विशेष कारण विना नहीं दौड़ाना चाहिए और वस्ती में तो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए; गाड़ी तांगा यादि को अंधाधुन्ध चलाने से कई बार घोड़ों की जान और मार्ग में चलने वाले मनुष्य आदि के प्राण जाते हुए देखे गये हैं। 78 जहां तक हो सके दूसरे से काम के लिए कोई चीज़ न गांगो। और शौक के लिए बनाई हुई रक्खी हुई चीज तो कदापि न मांगो। यदि बिना मांगे काम न चल सके तो ऐसी चीज ऐसी जगह से माँगो, जिसे उसको न देने के लिए कोई बहाना न बनाना पड़े और अपना अनादर न हो / मांगकर लाई हुई चीज को निज की वस्तु से भी ज्यादा हिफाजत से रक्खो और उसका अनुचित उपयोगन करो / जितने समय के लिए लाये हो उसके अन्दर ही वापिस लौटा दो।