________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला . से. पतित हो जाय तो सगाई छोड़ सकते हैं, अन्यथा नहीं। 66 अपरिचित जनोंकी प्रशंसा करना, उन्हें रहने को स्थान देना, उनके साथ सम्बन्ध करना और उनको नौकर रखना हानिकारक,है. 67 जिस कार्यमें हम न समझते हों हाथ डालना मूर्खता है। 18 प्राण जाने पर भी धर्मद्रोही, देशद्रोही, राजद्रोही, जातिद्रोही और स्वजनद्रोही न होना चाहिये, और न ऐसे कामों में सहायक ही होना चाहिये. ___66 नारियल के समान बाहरसे कठिन और अन्दर से कोमल रहना सज्जनों का लक्षण है, तथा बेर के माफिक बाहर से कोमल और अन्दर से कठिन रहना दुर्जनों का स्वभाव है. 100 खा-पीकर केवल हृष्ट पुष्ट बने हुवे मदमस्त प्राणी अपनी नासमझी से अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा कहते हैं, तथा भेदज्ञान के प्रभाव से अधर्म को धर्म और धर्म को अधर्म कहते हैं. - 101 हरएक सुविज्ञ (चतुर) मनुष्यों को देशकाल के अनुसार चलना चाहिये, जिस 2 समय जमाना बदले उस 2 समय में अपनी प्रवृत्तियों में फेरफार करना अनिवार्य है, उस वख्त तीर्थङ्कर गणधरादि महान् पुरुषों की नजीर स्मृतिपथमें उपस्थित कर लेनी चाहिये. १०२.गऊ खरीदते वक्त यह देख लेना चाहिए कि जो गऊ खरीदी जाय, वह अच्छी नस्ल की हो, और उसका स्वाथ्य मच्छा. हो / मला स्वास्थ्य होने का एक लक्षण गऊ की नाक और नथनों