________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला वासुदेव को ही मिलता है / जिस घोड़े की पीठ पर शंख का चिह्न हो, वह अपने स्वामी की रक्षा करता है , और उसे सम्पत्तिशाली बनाता है / जिस घोड़े की पीठ पर मत्स्य (मछली) के आकार का चिह्न हो, वह घोड़ा पानी में सुख से तैर सकता है। जिस घोड़े की पीठ पर सिंह के पंजे के आकार का चिह्न हो, वह संग्राम में उत्तम विजय पाता है। जिस घोड़े की पीठ पर त्रिशूल के आकार का चिह्न हो बह स्वामी का सपरिवार नाश करता है। जिस घोड़े की पीठ पर कमल के भाकार का सफेद लांछन हो, वह घोड़ा अपने स्वामी की लक्ष्मी बढ़ाता है। जिस घोड़े की पीठ पर बिल्कुल बाल न हों, वह घोड़ा अपने स्वामी की एक महीने के अन्दर मृत्यु करता है / जिस घोड़े की पीठ से सवारी करने के कारण रुधिर बारंबार निकलता हो, उस घोड़े पर सवारी करने वाले के भगंदर आदि रोग उत्पन्न होते हैं / जिस घोड़े की पीठ पर कलश के आकार का चिह्न हो, वह, महामांगलिक होता है, इसलिये उसके स्वामी को लक्ष्मी मादि का बहुत लाभ होता है / जिस घोड़े की पीठ पर चँवर का चिह्न हो, वह चक्रवर्ती के यहां ही उत्पन्न होता है, साधारण जगह नहीं। जिस घोड़े की पीठ पर दीपक की शिखा के आकार का सफेद चिहन हो, वह भग्नि का भय करता है / जिस घोड़े की पीठ की हड्डी बाहर उठी हुई दिखाई दे वह शत्रु से त्रास उत्पन्न कराता है। जिस घोड़े की पीठ का पिछला भाग पुष्ट हो, वह उत्तम जाति का