________________ (88) सेठियाजेनन्थमाला का साधन करे / मत और सम्प्रदाय के लिए क्लेश न करे / मानवधर्म को समझे और मनुष्यमात्र से प्रेम करे / दीन दुःखी जीवों . को देखकर दुःखी होवे / विनयवान् बने, लेकिन पाभिमानी को न नमे / 56 सच्चा देशसेवक- दूसरी जगह जितना वेतन मिल सके, उससे कम, सिर्फ गुज़ारे के लिए लेकर तन मन से सेवा करे / यदि अपनी स्थिति अच्छी हो या पेन्शन मिलती हो, तो कुछ न लेकर निःस्वार्थ सेवा करे / किसी को भाररूप न हो, और दूसरे की स्थिति देखकर उससे काम ले। 60 सच्चा जातिसेवक- जाति की आपत्तियों और खराबियों के जानने का प्रयत्न करे, खराव रूढ़ियों से स्वयं बचे और जाति को बचाने का भरसक उद्योग करे / कीर्ति की इच्छा न कर जातिसेवा करे / मानपत्रों और पदवियों को तुच्छ समझे। छिपकर काम न करे, किन्तु आत्मा पर विश्वास कर पवित्र भावों से काम करे। 63 सच्चा अधिकारी-- अपने कार्य का उत्तरदायित्व समझे / नियमित समय में से समय न चुराए / अपने वेतन के सिवा एक पैसे की भी इच्छा न रक्खे / जैसे बने वैसे साधारण मनुष्यों से कम परिचय रक्खे / परमात्मा को साक्षी कर अपना कर्तव्य पालन करे / स्वामी मादि के विरुद्ध कोई काम न करे, नीति और धर्म विरुद्ध आज्ञा मिलने पर उस का पालन न करे किन्तु