________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (79) का चिह्न हो, वह घोड़ा धन की वृद्धि और विजय करने वाला होता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पाँव के जोड़ में सफेद रंग का त्रिशुल का चिह्न हो, उस पर कभी सवार न होना चाहिए, क्योंकि ऐसा घोड़ा इष्ट स्थान पर न जाकर उल्टे स्थान पर जाता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पाँव के घुटने पर बिच्छू के आकार का श्याम रंग का चिह्न होता है, वह रोगादि का उपद्रव करता है। जिस घोडे के अगले दाहिने पाँव के घुटने के नीचे के भाग में सफेद रंग का मूसल के आकार का चिह्न हो, वह धन तथा कुटुम्ब का क्षय करता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पैर के खुर पर बहुत खड्डे हों, तथा खुर फटा हो, वह घोड़ा राज्य मादि का नाश करता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पैर का खुर आसमानी रंग का हो, वह धन आदि की वृद्धि करता है। जिस घोड़े के अगले दा. हिने पैर का खुर पीले रंग का हो, वह रोगादि का उपद्रव करता है / जिस घोड़े के दाहिने पैर का खुर काले रंग का हो, वह मध्यम जाति का घोड़ा होता है / जिस घोड़े के अगले दाहिने पैर का खुर नीचे से टूटा हुआ हो तथा जमीन पर बराबर नहीं रह सकता हो, वह घोड़ा कुटुम्ब का नाश करता है / जिस घोड़े के अगले बायें पैर के घुटने पर भौं रे का चिह्न हो, वह शत्रु का भय उत्पन्न करता है। जिस घोडे के अगले बायें पैर के जोड़ में बहुत मसे हों, वह अपने स्वामी को रोगी बनाता है / जिस घोड़े के अगले