________________ नीति-शिक्षा-संग्रह (70) औषधालय, श्राविकाश्रम, ब्रह्मचर्याश्राम (गुरुकुल) ज्ञानभण्डारपुस्तकालय, हुनरशाला, देशसेवासमिति, समाजसुधारक मण्डल आदि किसी उपकारी संस्था को अवश्य दे / जो महानुभाव कोई नई संस्था खोलना चाहें, उन्हें पहले ध्रुवफण्ड स्थापित करना चाहिये तथा उसका बख्शीश नामा या डीड माफ सेटिलमेन्ट, अर्थात् लिखा पढ़ी, कायदे के अनुसार किसी वकील या बैरिस्टर की राय से रजिस्ट्री आफिस में करवा देनी चाहिये, जिससे संस्था चिरकाल तक चलती रहे / संस्था के निर्विघ्न और भले प्रकार चलते रहने के लिये दृष्टी, सभापति, मन्त्री और कमेटी नियत कर देनी चाहिए। ध्रुवफण्ड की रकम से उन्नति वाले व्यापारिक शहर में अच्छे मौके की जगह का मकान खरीद लेना चाहिए, जिससे भाड़ा ज्यादा उपज सके और कभी खाली न रहे। अथवा उसका व्याज उपजाने के लिए गवर्नमेन्ट के कागज खरीद लेना चाहिए / जिससे संस्था की प्रगति में कोई बाधा उपस्थित न हो। 50 समाज के नेता, पंच सभापति ट्रस्टी आदि मुख्य कार्यकर्ता योग्य चुने जाय, वे वक्ता,सभा के नियमों के जानकार, परोपकारी, निःस्वार्थी, आत्मभोगी, निष्पक्ष, विचारशील, दृढ़प्रतिज्ञ, कर्मवीर, चारित्रशील, धीर, गंभीर, मौतविर, गुणग्राही, शुभचिन्तक, बुद्धिमान, धर्मात्मा, सौम्यप्रकृति, निर्भीक, नीतिज्ञ, दयालु, उदारचित्त, साहसी, अनुमतः, सत्यवादी विनीत, यशस्वी, एवं कुलीन होने चाहिये /