________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला किफ़ायत पड़ती है। क्योंकि नकद से खरीदने वाला दबैल नहीं रहता। 17 माल थोड़े नफे से बेचने से बिक्री बढ़ जाती है और विक्री के बढ़ने से थोड़ा नफा लेने पर भी ज्यादा लाभ हो जाता है। 18 जो आदमी सब जगह माल तलाश करके जहां सस्ता मिलता है वहां जाकर स्वयं खरीदता है, उसे अधिक लाभ होता और होशियारी बढ़ती है / परन्तु बाहर इस बात का खयाल रखना चाहिए कि ठगों के धोखे और कुसंगति में न फँस जाय / 16 माल मँगाते समय पहले सब जगह से भाव मँगालेना चाहिए। फिर जहां सस्ता पड़ता और चीज़ अच्छी हो, वहां से ही मंगाना चाहिए। 20 तेज भाव का, कम बिकने वाला, और जल्दी खराब होने वाला माल ज्यादा नहीं खरीदना चाहिए। ... 21 जिस व्यापार में ज्यादा और जल्दी घट-बढ़ होती हो, इसमें सोच समझकर हाथ डालना चाहिए / और सट्टे फाटके से दूर रहना चाहिये। 22 जब माल बाजार में कम होता और आमदनी भी कम होती है तब उसका तेज भाव हो जाता है / जब माल तेज हो गया हो, तो थोड़ा 2 बेचना चाहिए, एक साथ नहीं ।ज्यों 2 भाव तेज़ होता जाय त्यों त्यों बेवता जाय / एकदम बेचना बन्द भी न कर देना