________________ नीति-शिक्षा-संग्रह चाहिए। जब माल ज्यादा माने वाला हो और जहां से माल आवे, वहां का पड़ता सस्ता हो तो अपने पास का माल ढीले हाथ से तुम्त निकाल देना चाहिए- रोकना नहीं चाहिए / . 23 जब माल का भाव हद से ज्यादा नीचा हो जाय, तब माल खरीदना अच्छा होता है। 24 जहां से माल आता हो, वहां से भाव सदा मंगाते रहना चाहिए। जिससे तेजी मन्दी का हाल मालूम होता रहे / 25 मजदूरी जहां सस्ती होती है वहां की तैयार हुई चीज़ सस्ती पड़ती है और जहां खर्च कम है वहां मजूरी भी सस्ती होती है। 26 आढ़त का काम करने वाले और बाकी छोड़ने वाले को बाहर घूमकर सब आढ़तियों का काम देखना चाहिए। ऐसा करने से आसामी का हाल मालूम हो जाता, वहां का कायदा कानून मालूम हो जाता, और किस किस्म का माल कहँ। 2 चलता है, यह भी मालूम हो जाता है / माढ़तियों के साथ हिसाब का मिलान हो जाता और होशियारी आती है / 27 ऋण (कर्जा- उधार) देते समय इतनी बातों का विचार - ज़रूर करना चाहिये- हैसियत, सम्पत्ति, पूंजी, व्यापार, नफा,नुकसान क्षेत्र, राजा का कानून, चालचलन, संगति, साख, शोभा, संप, मेल, परिवार, प्रकृति, काम करने वाला ,नीयत; इत्यादि इनकी देखभाल कर के ही ऋण देना चाहिये।