________________ नीति-शिक्षा-संग्रह - - वारे को दही, शुक्रवार को राई या जव, शनिवार को वायविडंग या उड़द की वस्तु खाकर गमनादि कार्य करे। 3 कोलचक्रशनिवार को पूर्व में, शुक्रबार को अग्नि कोण में, गुरुवार को दक्षिण में, बुधवार को नैऋत्य कोण में, मंगलवार को पश्चिम में, सोमवार को वायु कोण में और रविवार को उत्तर दिशा में कालचक का वास होता है इसलिए जिस दिशा व कोण में कालचक्र का वास हो उस दिशा में नहीं जाना चाहिये / 4 योगिनी.प्रतिपदा और नवमी को पूर्व में, तृतीया और एकादशी को मग्नि कोण में, पंचमी और त्रयोदशी को दक्षिण में, चतुर्थी और हादशी को नैर्ऋत कोण में , षष्टी और चतुर्दशी को पश्चिम में , सप्तमी और पूर्णिमा को वायु कोण में, द्वितीया और दशमी को उत्तर में, अष्टमी और अमावास्या को ईशान कोण में योगिनी का वास होता है। इसलिए जिस दिशा में योगिनी का वास हो उस दिशा में नहीं जाना चाहिये / फल-बाई योगिनी सुख की देनेवाली, पीठ की वांछित वस्तु की प्राप्ति करने वाली, दाहिनी धन का नाश करने वाली और सन्मुख की योगिनी मरण की देने वाली होती है / १.किसी प्राचार्य के मत में यह भी शुभ मानी गई है।