Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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अर्थकारणतावादा ननु 'पत्र प्रदेशे बहल पालोकोऽत्र च मन्दः' इति लोकव्यवहारादन्या सोस्तोति चेत् ; तर्हि 'गुहागह्वरादी बहलं तमोन्यत्र मन्दम्' इति लोकव्यवहारः किं काकैर्भक्षितः ? अत्रास्याऽप्रमाण त्वेऽन्यत्र कः समाश्वासः ? ननु बहिर्देशादागत्य गृहान्तः प्रविष्टस्य सत्यप्यालोके तमः प्रतीतेनं पारमार्थिकं तत्, न चालोकतमसोविरुद्धयोरेकत्रावस्थानम्, ततो ज्ञानानुत्पत्तिमात्रमेव तदिति चेत्; तहि नक्तञ्चरादीनामेव (वं) विवरादौ प्रदीपाद्यालोकाभावेपि तत्प्रतीतेः सोपि पारमार्थिको न स्यात् । न चैकत्र तमोऽभावेपि तत्प्रतीतेः सर्वत्र तदभावो युक्तः, अन्यथाऽर्थाभावेपि क्वचित्तत्प्रतीते। सर्वत्र तदभावः स्यात् । तस्मादालोकवत्तमोपि प्रतीतिसिद्धम् । तत्र चालोकाभावेपि ज्ञानोत्पत्तिप्रतीतेन च तत्प्रति तस्य कारणता । तन्नालोकयोर्ज्ञानं प्रति कारणत्वम् ।
जैनः-ठीक है, फिर तो आपको अन्धकार को भी पृथक पदार्थरूप मानना जरूरी होगा, यहां गुफामें, गिरि कन्दरा में बहुत अन्धकार है, यहां पर तो अल्प अन्धकार है "इसप्रकारका लोक व्यवहार क्या काक भक्षित है ? यदि अन्धकार संबंधी लोक व्यवहार को अप्रामाणिक मानते हैं तो प्रकाश संबंधी लोक व्यवहारको प्रामाणिक मानना कैसे सिद्ध होगा?
नैयायिकः-बात यह है कि जब हम बाजार आदि बाह्य स्थानपर भ्रमण कर घरमें प्रवेश करते हैं तब प्रकाशके होते हुए भी अन्धकार दिखायी देता है अतः अन्धकारको काल्पनिक मानते हैं, प्रकाश और अन्धकार दोनों विरुद्ध स्वभाववाले होनेसे एकत्र अवस्थान होना शक्य नहीं है, इसीलिये ज्ञानकी अनुत्पत्ति को ही अन्धकार कहते हैं ?
जैन:- यही बात हम प्रकाशके विषयमें घटित कर सकते हैं नक्तचर आदि प्राणियोंको विवर आदि स्थान पर प्रदीप आदिका प्रकाश नहीं होते हुए भी उस प्रकाशकी प्रतीति होने लगती है अतः प्रकाश कोई वास्तविक चीज नहीं है, ऐसा सिद्ध हो जायगा ? किसी एक स्थान पर विना अन्धकारके अन्धकार प्रतीत होने से सर्वत्र उसका प्रभाव कर देना गलत है, यदि ऐसा करेंगे तो कहीं एक जगह पदार्थ के बिना उसकी प्रतीति होती है अतः उसका सर्वत्र प्रभाव करना होगा ? इसलिये प्रकाशके समान अन्धकार भी एक वास्तविक पदार्थ सिद्ध होता है, उस अन्धकार में भी ज्ञान उत्पन्न होता है, किन्तु उसको ज्ञानोत्पत्तिका कारण नहीं माना जाता । इसप्रकार प्रकाश और पदार्थ दोनों भी ज्ञानके प्रति कारण नहीं हैं ऐसा सिद्ध हुआ।
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