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सर्वदर्शनसंग्रहे
अहिंसा की भावनाएं-(१) वाग्गुप्ति = विषयों में जाने की इन्द्रियों की जो प्रवृत्ति है वचन द्वारा उस प्रवृत्ति से अपनी रक्षा । ( ३ ) ईर्यासमिति = जन्तुओं की रक्षा के लिए देखकर पैर रखते हए चलना । ( ४ ) आदानसमिति आसनादि को देखकर यन्त्रपूर्वक लांघना, उसे ग्रहण करना या उठाना। ( इनका वर्णन आगे देखें)। (५) आलोकितपानभोजन-देखकर पानी पीना या खाना ।
सूनत की भावनाएँ-( १ ) हास्प का परित्याग करके बोलना, क्योंकि इससे असत्य भाषण में प्रवृत्ति देखी जाती है । ( २ ) लोभ का परित्याग करके बोलना । ( ३ ) भय त्याग कर बोलना। ( ४ ) क्रोध त्याग कर बोलना, क्योंकि इन सबों से झूठ बोलने की ओर प्रवृत्ति होती है। (५) सोच समझ कर बोलना। ____ अस्तेय की भावनाएँ-(१) शून्य स्थानों, पहाड़ों की गुफाओं में निवास । (२) दूसरों के द्वारा त्यक्त स्थानों में रहना । ( ३ ) दूसरों के किसी काम में रुकावट नहीं डालना । ( ४ ) आचारशास्त्र के नियमों से भिक्षा में मिली हुई वस्तु की शुद्धि । ( ५ ) दूसरों के साथ 'मेरा-तेरा' न करना ।
ब्रह्मचय की भावनाएँ -(१) स्त्री-प्रेम की बातें न सुनना । (२) स्त्री के सुन्दर शरीर को न देखना । ( ३ ) पहले की रति का स्मरण न करना। ( ४ ) शक्तिवर्धक रस-रसायनों का सेवन नहीं करना। (५ ) अपने शरीर के संस्कारों का त्याग करना ( आभूषणों का प्रयोग नहीं करना )। ___ अपरिग्रह की भावनाएँ-(१) श्रोत्रेन्द्रिय का शब्द के प्रति राग-द्वेष न होना । (२) रसनेन्द्रिय का रस के प्रति रागद्वेष न होना । ( ३ ) चक्षुइन्द्रिय का रूप के प्रति रागद्वेष न होना। ( ४ ) सन्द्रिय का स्पर्श के प्रति रागद्वेष न होना । ( ५ ) घ्राणेन्द्रिय का गन्ध के प्रति रागद्वेष न होना।।
( १८. जैन तत्त्व-मीमांसा-दो तत्त्व ) अत्र संक्षेपतस्तावज्जीवाजीवाख्ये द्वे तत्त्वे स्तः। तत्र बोधात्मको जीवः । अबोधात्मस्त्वजीवः। तदुक्तं पद्मनन्दिना । २९. चिदचिद् द्वे परे तत्त्वे विवेकस्तद्विवेचनम् ।
उपादेयमुपादेयं हेयं हेयं च कुर्वतः ॥ ३०, हेयं हि कर्तृरागादि तत्कार्यमविवेकिता।
उपादेयं परं ज्योतिरुपयोगकलक्षणम् ॥ इति । यहां संक्षिप्त रूप से जीव और अजीव नाम के दो तत्त्व हैं । उनमें ज्ञान के रूप में जीव है और अज्ञान के रूप में अजाव है। पद्मनन्दि ने इसे कहा है-'चित् ( Soui )
और आचत ( Non-soul )-ये दो परमतत्व ( Ultimate reality ) हैं। कर्ता के द्वारा उपादेय का ग्रहण करना तथा हेय का त्याग करना-ऐसा विवेचन ( अलग