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सांख्य दर्शनम्
( २ ) हेतु - क्योंकि ये उनसे ( सुख-दुःख मोह से ) संयुक्त हैं ।
(३) उदाहरण और व्याप्ति - जो जिससे संयुक्त रहता है वह उसी कारण से निकलता है । जैसे स्वर्णपात्र स्वर्णसंयुक्त है और स्वर्ण उसका कारण है ।
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(४) उपनय -- यह ( प्रस्तुत पदार्थ ) भी वैसी ( सुख, दुःख, मोह से संयुक्त ) है । ( ५ ) निगमन - इसलिए यह ( संसार ) भी वेसा ( सुख, दुःख और मोह से बने किसी कारण से उत्पन्न ) है |
[ संसार का सुख - दुःख - मोह से बना कारण ही प्रकृति या प्रधान है। इसी अनुमान से उसका पता लगता है । ]
तत्र जगत्कारणे येयं सुखात्मकता तत्सत्त्वं, या दुःखात्मकता तद्रजः, या च मोहात्मकता तत्तम इति त्रिगुणात्मककारणसिद्धि: । तथा हि-प्रत्येकं भावास्त्र गुण्यवन्तोऽनुभूयन्ते । यथा मंत्रदारेषु सत्यवत्यां मैत्रस्य सुखमावि - रस्ति । तं प्रति सत्त्वगुण प्रादुर्भावात् । तत्सपत्नीनां दुःखम् । ताः प्रति रजोगुणप्रादुर्भावात् । तामलभमानस्य चैत्रस्य मोहो भवति । तं प्रति तमोगुणसमुद्भवात् ।
यहाँ पर संसार के कारण ( प्रकृति ) में जो सुख का तत्त्व है वह सत्त्वगुण है । दुःख का तत्त्व रजोगुण और मोह का तत्त्व तमोगुण । इस प्रकार त्रिगुणात्मक कारण ( = जगकारण ) की सिद्धि होती है । वह इस रूप में होती है --संसार के सभी भावों ( पदार्थों )
तीनों गुणों की सत्ता का अनुभव होता है । जैसे मंत्र की अनेक पत्नियों में सत्यवती नामक पत्नी से मैत्र को सुख की प्राप्ति होती है, क्योंकि मैत्र के प्रति सत्त्वगुण का प्रादुर्भाव होता है । [ उसी सत्यवती से ] उसकी सपत्नियों ( Fellow-wives ) को दु:ख है, क्योंकि उनके प्रति रजोगुण का प्रादुर्भाव होता है । उसे न प्राप्त करनेवाले ( प्राप्ति की इच्छा न रखने वाले ) चैत्र को उससे मोह ( उदासीनता का भाव ) है, क्योंकि उस चैत्र के प्रति तमोगुण का प्रादुर्भाव होता है । [ एक ही पदार्थ - सत्यवती - में तीनों गुणों की सिद्धि होती है । इसी प्रकार सभी पदार्थों से सुख, दुःख और मोह की प्राप्ति होती है । ]
एवमन्यदपि घटादिकं लभ्यमानं सुखं करोति । परैरपहियमाणं दुःखाकरोति । उदासीनस्योपेक्षाविषयत्वेनोपतिष्ठते । उपेक्षाविषयत्वं नाम मोहः । मुह वैचित्ये इत्यस्माद्धातोर्मोहशब्द निष्पत्तेः । उपेक्षणीयेषु चित्तवृत्यनुदयात् । तस्मात्सर्वभावजातं सुखदुःखमोहात्मकं त्रिगुणप्रधानका रणकमवगम्यते ।
विषय | अंगरेजी में इसे in question कहेंगे, जैसे – विमतं वस्तु = Thing in question, मैंने 'प्रस्तुत' शब्द रखा है जो उपयुक्त है ।