Book Title: Sarva Darshan Sangraha
Author(s): Umashankar Sharma
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 849
________________ ८१२ सर्वदर्शन संप्रहे २१९ प्रभाचन्द्र - १३०० । जैन - १. आत्मानुशासन की टीका, २ समयसार की टीका २२० प्रभानन्द – १३२० । जैन - वीतरागस्तुति की टीका । २२१ प्रशस्तपाद – ४५० | वे० - कणादसूत्रभाष्य ( पदार्थधर्मसंग्रह ) । ' २२२ बच्चाशर्मा - ? | अ० वे० - गीता की गूढार्थदीपिका ( लेखक - मधूसुदन ) की टीका २२३ बलभद्र – १५५० । वै० - सप्तपदार्थो की टीका । २२४ बादरायण ( व्यास ) - १०० ई० प० ? | वेदान्त - ब्रह्मसूत्र | २२५ बालंभट्ट ( वैद्यनाथ पायगुण्डे ) -- १७५० । मी० – सूत्रवृत्ति ( न्यायबिन्दु ) व्याक - रण- १. उद्योत की टीका ( छाया ), २. शब्दकौस्तुभ की व्याख्या ( उद्योत ), ३. शब्दरत्न की व्याख्या ( भावप्रकाश ), ४. लघुशब्देन्दुशेखर की व्याख्या ( चिदस्थिमाला ), ५. परि० की टीका ( गदा ), ६. लघुमञ्जूषा की टीका ( कला ) । २२६ बालकृष्णभट्ट – ? । वे० – मुक्तावली टीका ( प्रकाश ) । २२७ बालचन्द्र - ११२० । जैन - समयसार की टीका । २२८ बुद्धघोष - ४०० । बौद्ध - विशुद्धिमार्ग | २२९ बुद्धपालित – ४०० । बो० - मूलमध्यमकारिका की वृत्ति । २३० बृहस्पति - ? | चार्वाक – सूत्र | २३१ बोधेन्द्र - १ | अ० वे० -- आत्मबोध की टीका ( भावप्रकाशिका ) । २३२ बोपदेव - ११८० । अ० वे० मुक्ताफल | व्याकरण - कामधेनु । २३३ बौधायन - ३०० ई० पू० । वेदान्त - ब्रह्मसूत्रवृत्ति । मी० – सूत्रवृत्ति । २३४ ब्रह्मानन्दसरस्वती - १५६५ । अ० वे० - १. ईशावास्यरहस्य, २. सिद्धान्तबिन्दु की टीका ( न्यायरत्नावली ), ३. अद्वैतसिद्धि की व्याख्या; ४. वेदान्तमुक्तावली । २३५ भगवत्तीर्थं - ? | द्वैत - ब्रह्मसूत्रभाष्य की टीका ( भावप्रकाशिका ) | २३६ भगीरथमेघ - १५७० | न्याय - द्रव्य प्रकाशिका | २३७ भट्टदिनकर - १६०० | मीमांसा - शास्त्रदीपिका की व्याख्या ( भाट्टदिनकर ) । २३८ भट्टोजिदीक्षित - १५७८ । व्याकरण - १. शब्दकौस्तुभ ( सूत्र की टीका ), २० सिद्धान्तकौमुदी, ३. प्रौढमनोरमा ( सि० कौ० की व्याख्या ) 12 अ० वे० – १. तत्त्वकौस्तुभ २. अद्वैत कौस्तुभ । १. ( २२१ ) पदार्थधर्म संग्रह के टीकाकार - व्योमशिवाचार्य ( ९७० व्योमवती ), उदयन (९८४ किरणावली ), श्रीधर ( ९९९ न्यायकन्दली ) श्रीवत्साचार्य ( १०२५ लीलावती ), शंकर मिश्र ( १४२५ कणाद रहस्य ), जगदीश ( १५९० भाष्यसूक्ति ) । २. (२३८) सिद्धान्तकौमुदी की अन्य टीकायें और टीकाकार -- तत्त्वबोधिनी ( ज्ञानेन्द्रसरस्वती १६४० ), सुबोधिनी ( कृष्णमौनि १७०० ), वासुदेवदीक्षित की बालमनोरमा ( १६६० ), नीलकण्ठ का वैयाकरणसिद्धान्त रहस्य ( १६६० ), रामकृष्ण का वैयाकरण

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