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सर्वदर्शनसंग्रहे
लक्ष्यार्थ में प्रयोग देखकर छलवादी उसे वाच्यार्थ में लेकर बातें काटता । जैसे—मश्व चिल्ला रहे हैं; इसका लक्ष्यार्थ है कि मन्च पर बैठे हुए लोग चिल्ला रहे हैं । अब छलवादी इसे वाच्यार्थ में ही लेकर कहता है कि अचेतन लकड़ी के बने मञ्च कैसे चिल्ला सकते हैं । ] ( ६. जाति और उसके चौबीस भेद )
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स्वव्याघातकमुत्तरं जातिः । सा चतुर्विंशतिधा । साधर्म्यवैधम्र्योत्कर्षापकर्षवर्ण्यवर्ण्य - विकल्प- साध्य प्राप्त्यप्राप्ति-प्रसङ्ग-प्रतिदृष्टान्तानुत्पत्तिसंशय - प्रकरण - हेत्वर्थापत्त्यविशेषोपपत्त्युपलब्ध्यनुपलब्धि - नित्यानित्य -कार्यसमभेदात् । अपने आपका विनाश करनेवाले उत्तर को जाति कहते हैं । [ गौतम के अनुसारसाधर्म्य या वैधर्म्य के आधार पर किसी का विरोध करना जाति है । जैसे कोई वादी कहता है कि आत्मा निष्क्रिय है क्योंकि यह आकाश की तरह व्यापक है । अब उसका प्रतिपक्षी उत्तर देता है कि यदि आत्मा आकाश की तरह व्यापक होने के कारण निष्क्रिय है तो वह घट की तरह अवयवसमूह होने के कारण सक्रिय क्यों नहीं है ? वादी की उक्ति में साधर्म्य से व्याप्ति सम्बन्ध है पर प्रतिपक्षी की उक्ति में नहीं । व्यापक पदार्थ निष्क्रिय हैं, किन्तु अवयवसमूह के लिए सक्रिय होना आवश्यक नहीं । ]
जाति के चौबीस भेद हैं - साधर्म्यसम, वैधर्म्यसम, उत्कर्षसम, अपकर्षसम, वर्ण्यसम, अवर्ण्यसम, विकल्पसम, साध्यसम, प्राप्तिसम, अप्राप्तिसम, प्रसंगसम, प्रतिदृष्टान्तसम, अनुत्पत्तिसम, संशयसम, प्रकरणसम, हेतुसम, अर्थापत्तिसम, अविशेषसम, उपपत्तिसम, उपलब्धिसम, अनुपलब्धिसम, नित्यसम, अनित्यसम तथा कार्यसम |
विशेष- जाति के चौबीस प्रकारों का वर्णन गौतम ने पञ्चम अध्याय के प्रथम ह्न में अलग-अलग सूत्रों में किया है। इनमें प्रत्येक में 'सम' का प्रयोग बतलाता कि जातियों में साधर्म्य आदि की समानता का प्रदर्शन किया जाता है - किसी में वैधर्म्य की तुलना होती है, किसी में उत्कर्ष की, तो किसी में नित्य की ही ।
( १ ) साधर्म्य सम जाति में साधर्म्य में दिये गये उदाहरण से युक्त वाद ( Argument ) का विरोध किया जाता है तथा विरोधी पक्ष उसी प्रकार के उदाहरण का प्रयोग करता है जिस तरह का उदाहरण वादी ने दिया है । कोई वादी शब्द की अनित्यता सिद्ध करने के लिए इस प्रकार का वाद रखता है- शब्द अनित्य है क्योंकि यह उत्पन्न होता ( कृतक ) है, जैसे घट । दूसरा व्यक्ति निम्न जाति के द्वारा उनका विरोध करता हैशब्द नित्य है क्योंकि यह अमूर्त है, जैसे आकाश । वादी और विरोधी दोनों के उदाहरण एक प्रकार के हैं अर्थात् साधर्म्य के उदाहरण हैं । वादी अनित्य घट के साथ शब्द का साधर्म्य दिखाकर ( क्योंकि दोनों कृतक हैं ) शब्द को अनित्य सिद्ध करता है, प्रतिपक्षी नित्य आकाश के साथ शब्द का साधर्म्य दिखाकर ( क्योंकि दोनों अमूर्त हैं ) शब्द को