Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ५ क्रियाविशेषनिरूपणम् आधिकरणिक्या प्राद्वेषिक्या स्पृष्ट स्तं समयं पारितापनिक्या क्रिययाऽस्पृष्टः प्राणातिपातक्रियया अस्पृष्ट : ३॥ सू. ५॥
टीका-पूर्व कायिक्यादिक्रियाः प्ररूपिताः सम्प्रति तत्प्रस्तावात् केषां जीवानां कतिक्रिया भवन्तीति प्ररूपयितुमाह- 'कइ णं भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ ? ' हे भदन्त ! कति खलु क्रियाः प्रज्ञप्ताः सन्ति? भगवानाह-'गोयमा!" हे गौतम ! 'पंच किरियाओ पण्णत्ताओ' पञ्चक्रियाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा-काइया जाव पाणाइवायकिरिया' होता है (अत्थेगइए जीवे एगाइयाओ जीवाओ) कोई कोई जीव किसी किसी जीवकी पेअक्षा से (जं संमय) जिस समय (काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे ) कायिकी, आधिकरणिकी और प्राषिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है, (तं समय) उस समय ( पारियावणियाए किरियाए पुढे ) पारितापनिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है (पाणाइवायकिरियाए अ पुढे) प्राणातिपातक्रियासे अस्पृष्ट होता है ( अत्थेगईए जीवे) कोई-काई जीव (एगइयाओ जीवाओ) किसी जीव की अपेक्षासे (जं समय ) जिस समय (काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए पुढे) कायिकी, आधिकरणिकी, एवं प्राद्वेषिकी क्रियासे स्पृष्ट होता है (त समय) उस समय (पारियावणियाए किरियाए अपुढे) पारितापनिकी क्रियासे अस्पृष्ट होता है (पाणाईवायकिरियाए अपुढे) प्रणातिपात क्रिया से अस्पृष्ट होता है । ॥ सू. ५ ॥
टीकार्थ:-इससे पूर्व कायिकी आदि क्रियाओं का निरूपण किया गया ।
अब उसी प्रकरण के अनुसार यह निरूपण किया जाता है कि किन-किन जीवों को कितनी-कितनी क्रियाएँ होती है - ?
श्री गौतमस्वामी प्रश्न करते हैं-हे भगवन् ! क्रियाए कितनी कहा गई है ?
श्री भगवान्-हे गौतम ! पांच क्रियाएँ कही हैं, वे इस प्रकार हैं-कायिकी यावत् आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी और प्राणातिपातक्रिया । कायिकी पारितापनिजी जियाथी २५ट हाय छ ( पाणाइवायकिरियाए अपहे) प्राणातिपात छियाथी २०२५ष्ट मने छ (अत्यंगइए जीवे) । ७१ ( एगइयाओ जीवाओ) पनी अपेक्षा (जौं समय) समये (काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए पुढे) यिs), माधि४२छिी तमा प्रादेषित ठियाथी २Yष्ट थाय छ (त समय) ते समये (पारियावणियाए किरियाए अपुढे) पारितापानी याथी १२५ट मने छ (पाणाइवाय किरियाए अपुढे) प्रातिपात लियाथी અપૃષ્ટ થાય છે.
ટીકાર્ય - આનાથી પહેલાં કાયિકી આદિ કિયાઓનું નિરૂપણ કરાયું.
હવે એજ પ્રકરણના અનુસાર એ નિરૂપણ કરાય છે કે કયા-કયા જાને કેટલી કેટલી કિયાઓ થાય છે ?
શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન! કિયાઓ કેટલી કહેલી છે? શ્રી ભગવાન–હે ગૌતમ ! પાંચ ક્રિયાઓ કહી છે, તેઓ આ પ્રકાર છે-કાયિકી યાવત
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫