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दशम अध्याय 'न्याय' या हिंस्र पशु-जगत से ऊपर उठ कर प्राणी जगत की रक्षा करने .. का प्रयत्न करे। अपनी शक्ति निर्बल प्राणियों को समाप्त करने में .. - नहीं, बल्कि उनके संरक्षण में लगाए। .
अण्डा मांसाहार है प्रश्न- अण्डे में तो जीव नहीं होता, अतः इसका सेवन करने में कोई पाप या दोष नहीं हो सकता ? . उत्तर- हम सदा देखते हैं कि. पक्षी अंडे में से निकलते हैं और वे..
पक्षी सजीव माने जाते हैं। जब अंडे में निकलने वाले पक्षी सजीव हैं, _ तव अंडा निर्जीव कैसे हो सकता है । निर्जीव अंडे से सजीव पक्षी की
उत्पत्ति असंभव है। वही बीज अंकुरित, पल्लवित एवं फलित हो . . सकता है, जो सजीव है। भूने हुए या अन्य शस्त्र से निर्जीव बना दिया गया बीज कभी भी अंकुरित नहीं होता। उसी तरह उसी अंडे में से पक्षो का जन्म होता है, जो संजीव है। जो अंडा किसी कारण से खराब हो गया है या हिला-हिला कर निर्जीव कर दिया गया है, वह
शीघ्र ही सड़ जाएगा, परन्तु उसमें से पक्षी पैदा नहीं होगा। अतः .. अंडा निर्जीव नहीं, सजीव है, सचेतन है, प्राणवान है.। .. ..... शब्दकोष एवं धर्म शास्त्रों में पक्षी को द्विजन्मा कहा है। इसका . : तात्पर्य यह है कि पहले वह अण्डे के रूप में जन्म लेता है और फिर
पक्षो के रूप में। इस तरह उसके होने वाले दो जन्मों से यह स्पष्ट हो ... जाता है कि वह सजीव है । दूसरी बात अंण्डे की उत्पत्ति मांदा पक्षी
के गर्भ से होती है। जैसे गर्भ से उत्पन्न हुए अन्य पशु एवं मानव सजीव
हैं, वैसे अण्डा भी सजीव है। क्योंकि वह नर एवं मादा के संभोग का -: प्रतिफल है। : . . . . . . . . . . . . . . . . .