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अठाहरवां अंध्याय
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८.९८ . .
९ सौ योजन की गहराई के बाद गिना जाता है । अधोलोक में सात नरक हैं-रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूम-प्रभा, तम:- : प्रभा और महातमःप्रभा । नारकियों की निवास-भूमि नरक कहलाती .. है। ये सातों नरक समश्रेणी में न होकर एक दूसरे के नीचे हैं। उनकी लम्बाई-चौड़ाई आपस में एक समान नहीं है। पहले नरक से दूसरे की लम्बाई-चौड़ाई कम है, दूसरे से तीसरे की, इसी प्रकार छठे से सातवें नरक की लम्बाई-चौड़ाई : पूर्वापेक्षया न्यूनाति
जिसके दो भागों की कल्पना मी न हो सके, उस निरंश पुदगल को परमाणुं कहते हैं । ऐसें अनन्त सूक्ष्म परमाणुओं के संयोग से एक वादर परमाणु वनता है। अनन्त वादर परमाणुओं का एक उष्ण श्रेणिर्क (गरमी का) पुदगल, पाठ उपण श्रेणिक पुद्गलों का एक शीतश्रेणिक (सरदी का) पुद्गल, आठ शीतश्रेणिक पुदगलों का एक अदरेण आठ ऊ रेणुओं का एक सरेण (वस जीव के चलने
पर उड़ने वाला धूलि. का करण), आठ त्रसरेणुओं का एक रथरेण । रथ के चलने पर , उड़ने वाला धूलि का कण), ८ रथरेणुत्रों का एक देवकुरु या उत्तरकुरु क्षेत्र के मनुष्य का वालाग्र, इन वालातों का एक हरिवास, रम्यकवास क्षेत्र के मनुष्य का व.लाय, इन ८ वालाग्रों का एक हैमवत, ऐरण्यक्त क्षेत्र के मनुष्य का. बालात्र, इन ८ वालाग्रों का एक पूर्व पश्चिम महाविदह को क्षेत्र के मनुष्य का वालात्र, इन अठ बालात्रों की एक लीन, आठ लीखों की एक यूका, पाठ यूकानों का एक यवमान्य, अाठ यवमध्यों का एक अगुल, छः अगुलों का एक पाद (मुट्ठी), दो पादों की एक वितस्ति, दो वितस्तियों का एक हाथ, दो हाथों की एक कुक्षि दो कुक्षियों का .. एक धरणुष, २००० धनुषों की एक गव्यूति (कोस), चार गव्यूतियों का एक योजन होता है । इस योजन से अशाश्वत वस्तुत्रों का माप होता है। शाश्वत (नित्य) वस्तुओं का माप.४००० कोस के योजन से होता है।
: - जैसे प्रयम नरक की मोटाई १ लाख ८० हजार योजन है, दूसरे की १ लाख ३२ हजार, तीसरे की १ लाख २८ हजार, चतुर्थ की १ लाख २० हजार, - पचम की १ लाख १८ हजार, छंठे की १ लाख १६ हजार और सातवें नरक की - मोटाई १ लाख ८ हजार योजन की होती है ।