Book Title: Prashno Ke Uttar Part 2
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 582
________________ प्रश्नों के उत्तर www सागरोपम का होता है। .... - सुषमा-यह आरा प्रथम पारे के अनंतर आता है। इस बारे में पहले आरे की अपेक्षा वर्ण, रस, गन्ध और स्पर्श की उत्तमता में ... हीनता आ जाती है। इस...ारे के मनुष्यों को दो दिन के अन्तर . ... से आहार की इच्छा पैदा होती है । पृथ्वी का का स्वाद मिश्री के वदले शक्कर जैसा रह जाता है, पहले आरे के समान इसमें भी . युगल धर्म रहता है । इसमें नवजात युगल का ६४ दिनों तक पालन- पोषण करना होता है । तत्पश्चात् वे स्वावलम्बी बन जाते हैं। यह .. प्रारा तीन सागरोपम.कोटाकोटि का होता है। शेष कथन पहले पारे के समान समझ लेना चाहिए। . . . . . . . . . . सुषम-दुषमा-इसमें सुख बहुत और दुःख अल्प. थोड़ा होता . है। यह दो कोटाकोटि सागरोपम का है। इस बारे में पूर्वापेक्षया .. वर्ण, रस, गन्ध और स्पर्श की उत्तमता में ह्रास हो जाता है। एक .. दिन के अन्तर पर ग्राहार की इच्छा पैदा होती है । पृथ्वी का स्वाद . .... गुड़ जैसा हो जाता है। पहले की भांति इसमें भी युगलधर्म रहता . ...: है। इसमें नवजात युगल का ७९. दिनों तक पालन-पोषण करना होता है। इसमें तथा पिछले दो, इस प्रकार तीनों आरों में तिर्यञ्च __ . भी युगल ही होते हैं।. . ... .. . .... .... इस बारे के तीसरे भाग की समाप्ति में जब पल्योपम. का ... आठवां भाग शेष रह जाता है, उस समय कालदोष से कल्पवृक्षों की . .. शक्ति न्यून पड़ जाती है । युगलियों में द्वेष और कषायों की मात्रा बढ़ ..जाती है, आपस में ये विवाद करते हैं । विवाद को शान्त करने के लिए . संव एक नेता बनाते हैं, जिसे शास्त्रीय भाषा में कुलकर कहा जाता है। ... ये कुलकर १५ होते हैं। प्रत्येक कुलकर अपने-अपने समय का प्रतापशाली और विद्वान् मनुष्य होता है । वह तत्कालीन समाज की मर्यादा .. और व्यवस्था करता है । प्रारम्भ के ५ कुलकरों तक हकार की दण्ड

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