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अठारहवां अध्याय
९१४. . rammrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrmirrrrrrrrr ~~~~~~~~~~ ७-वारुणी द्वीप, ८-वारुणी समुद्र, ९-क्षीर द्वीप, १०-क्षीर समुद्र, ११-घृत द्वीप, . १२-घृत समुद्र, १३.-इक्षु द्वीप, १४-इक्षु समुद्र, १५-ॐनंदीश्वरद्वीप, १६-नदीश्वर समुद्र ,१७-अरुण द्वीप, १८-अरुण समुद्र १६-अरुणवर द्वीप, २०-अरुणवर समुद्र, २१-पवन द्वोप, २२-पवन समुद्र, २३-कुण्डल, द्वीप २४-कुण्डल समुद्र २५-शंख द्वीप २६-शंख समुद्र २७-रुचक द्वीप २८-रुचक समुद्र २९-भुजंग द्वीप, ३०-भुजंग समुद्र
- इस प्रकार अगला-अगला द्वीप, समुद्र, पूर्व-पूर्व के द्वीप समुद्र को घेरे हुए हैं। असंख्य द्वीप हैं, असंख्यात समुद्र हैं । जगत में प्रशस्त वस्तुओं के जितने नाम हैं, उतने नाम वाले द्वीप समुद्र माने गए हैं। सब का विस्तार दुगुना-दुगुना होता चला जाता है। इन सब के . अन्त में स्वयंभूरमण समुद्र है। उसके १२ योजन दूर चारों ओर
कोडाकोडी सागर, उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल में से नौ कोडाकोडी सागरोपम । जितने काल में युलिया मनुष्य ही रहते हैं। सिर्फ एक कोडाकोडी सागरोपम से कुछ ...
अधिक काल ही धर्म की प्रवृत्ति रहती है। इन दस क्षेत्रों में प्रत्येक क्षेत्र में ३२-३२ हजारदेश हैं, इन में से प्रत्येक क्षेत्र में ३१, ६, ७४३ देश अनार्य हैं और केवल २५) देश आर्य है। भरत क्षेत्र के मगध देश, अंग देश, वंग देश, कलिंग देश, काशीदेश, कौशल देश, कुरु देश, पांचाल देश आदि २५१ देश आर्य माने जाते हैं। . .
नन्दीश्वर द्वीप में देवता लोग कार्तिक, फाल्गुण और अषाढ़ मास के अन्तिनं आठ दिनों में तथा तीर्थंकर भगवान के पंच-कल्याण आदि शुभ दिनों में अष्टान्हिक .. महोत्सव किया करते हैं।
. . ... रुचक द्वीप तक जंवाचरण मुनि जा सकते हैं।