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प्रस्नों को इन .........
४५६ रोकने का भरसक प्रयत्न करते हैं। भारत सरकार की प्राना नीति है कि वह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सभी समस्यामा गो जान से सुलझाना चाहती है। वह किसी भी दशा पर यात्रामण मारने के विरुद्ध है। इतना होने पर भी वह अपनी सुरक्षा का सदा ध्यान रखती है। अपने देश पर किये गए प्रामामण को वह चुपचाप बदास्त नहीं कर सकती। यही बात जैन अहिंसा बहती है। वह मानव मतो गुद्ध. से बचने की बात कहती है । दूसरे पर प्राकारण हारने से रोकती है। विश्व की शान्ति को कायम रखने को प्रेरित करती है। परन्तु साथ में अपने देश एवं परिवार की सुरक्षा को प्रात भी कहती है। किसी .. अत्याचारी शासक द्वारा देश पर प्रामण करने की स्थिति में देश को प्रत्याचारी के उत्पीड़न से न बचा फार घर में छुप बैठना अहिंसा नहीं .. कायरता है। उसे अहिंसा का नाम देना भारी भूल है। यह सत्य है। ... अहिंसक किसी पर हमला नहीं करता परन्तु यह भी सत्य है कि देश या परिवार पर प्राक्रमण होने की स्थिति में वह घर में भी छुप कर नहीं बैठता । इतिहास बताता है कि जैन धावकों ने सदा न्याय की . रक्षा की है । शरणागत की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय नैतिक व्यवस्था को . व्यवस्थित रखने के भारतीय गणतन्त्र के प्रमुख राजा चेटक. ने मगध राज कौणिक का डट कर मुकाबला किया था। महाराज चेटक ने दात : चीत से समस्या को सुलझाने का प्रयत्न किया। उन्होंने कौणिक को समझाया कि वह पहिल. कुमार के अधिकार में स्थित हाथी और हार को-जो उसे अपने पिता श्रेणिक से प्राप्त हुए हैं। छीनने का प्रयत्न न . करे। परन्तु, कौणिक का स्वार्थी मनः इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ. । उस ने एक ही उत्तर दिया कि श्रेष्ठ चीजों पर सदा शक्तिशाली का अधिकार होता है। अतः आप बहिल कुमार को हार . और हाथी के साथ लौटा दें या युद्ध के लिए तैयार हो जाएं। ऐसी .