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प्रश्नों के उत्तर xmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm..
की ओर झुका हुआ था। महावीर युवक होने पर भी क्रान्तिकारी. तप, त्याग और वैराग्य के आदर्श प्रतीक थे। परिणाम स्वरूप भरी. जवानी में सोने के सिंहासन को लात मार कर आप विश्वकल्याण का ध्वज ले कर आत्म साधना की ओर बढ़े, और साधु वन गए । वर्षों . . की कठोर और उच्च कोटि की तपस्या के द्वारा आप ने केवल . ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) पाया और कैवल्य की अनुपम ज्योति से आप ने . संसार को सत्य, अहिंसा का सत्पथ दिखलाया। अज्ञानता, संकीर्णता और असहिष्णुता आदि कृष्णतम मेघों को हटा कर संसार के महाकाश को अहिंसावाद, कर्मवाद, अपरिग्रहवाद और स्याद्वाद के दिव्य आलोक से आलोकित किया। भगवान महावीर ने अपने अलौकिक व्यक्तित्व और ज्ञान ज्योति द्वारा भारतीय संस्कृति के ' इतिहास में एक आध्यात्मिक क्रान्तिकारी युग का श्री गणेश करके । . . धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्रीय क्षेत्रों में नव चेतना, नव स्फूर्ति और एक नवीन उत्साह का संचार एवं प्रसार किया था।
भगवान महावीर विश्व के अद्वितीय क्रान्तिकारी महापुरुष थे; उन की क्रान्ति किसी एक क्षेत्र तक सीमित न थी, उन्हों ने ।
तो सर्वतोमुखी क्रान्ति का मंत्र फूका था। अध्यात्म दर्शन, समाज-- . __ . व्यवस्था यहाँ तक कि भाषा के क्षेत्र में भी उन की देन अनुपम है।
अहिंसा की त्रिविध (मानसिक, वाचनिक, कायिक) गंगा वहा कर ... दिकी हिंसा हिंसा न भवित” की युक्ति-हीन मान्यता का परिहार
किया, पारस्परिक खण्डन-मण्डन में निरत दार्शनिकों को अनेकान्त- -
वाद का महामंत्र दिया, सद्गुणों की अवहेलना करने वाले जन्मना ... जातिवाद पर कठोर प्रहार करके गुण कर्म के आधार पर जाति· व्यवस्था का सिद्धान्त उपस्थित किया। नारियों की प्रतिष्ठा को . सुरक्षित रखा, और विभ्रान्त भारत को साध्वीसंघ तथा श्राविका- ... संघ की अनमोल निधि दे कर नारी जगत की प्रतिष्ठा का पूर्णतया
एक नवीन उस और राष्ट्रीय क्षारा युग का श्री