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सोलहवां अध्याय
mi.....nirman फिर इनके चरणों की स्मारक साधन सामग्री का पूजन और वंदन .. क्यों नहीं किया जाना चाहिए ? इस तथ्य को उदाहरणों से समझिए । ....
एक कागज़ है, उस पर हमारे आराध्य गुरुदेव ने अपने हाथों . से महामन्त्र लिख रखा है। उस कागजा को देखते हो पूज्य गुरुदेव का स्मरण हो पाता है। ... ... ... ... ... ... ... .
एक लाठी है, उसे गुरुदेव अपने हाथों में रखा करते थे, उसके सहारे चला करते थे। उस लाठी को देखकर गुरुमहाराज का पवित्र स्वरूप एकदम दर्वाक के सामने साकार हो कर खड़ा हो जाता है। . . एक मकान है, उस में गुरुदेव ने चातुर्मास कर रखा था। उस में रह कर गुरुदेव सत्य, अहिंसा के पावन उपदेश सुनाया करते .
थे, जन-गण-कल्याण-कारिणी जिनेन्द्रवाणी के स्रोत बहाया करते थे। . ____जहां-जहां बैठ कर स्वयं दर्शक ने गुरुदेव से अध्यात्मवाद का पाठ .
.. पढ़ा था, उस-उस स्थान को देखते ही वन्दनीय गुरुदेव की स्मति ताजा . ... हो उठती है। .
...... ... ...वह झांवां. या पत्थर का टुकड़ा जिसके द्वारा गुरुदेव अपने ... पांव साफ किया करते थे, मार्ग में जो मल पांव को लग जाता था
उसे उस से धोया करते थे, तथा जिसे गुरुदेव ने संभाल कर एक ... . कोने में रख छोड़ा था, उसे देखते ही गुरुदेव के पांव धोने का दृश्य .. - सामने आ खड़ा होता है, और उस से गुरुदेव की मंगलमूर्ति का ..स्मरण हो उठता है।
. ... वह कलम, जिस से गुरुदेव शास्त्र लिखा करते थे, शास्त्र.. सम्पादन करके साहित्य भगवान् की अनुपम सेवा किया करते थे, - उस कलम को देखते ही गुरुदेव का शास्त्र सम्पादन, उनके लिखने .
की धुन तथा साहित्य-सेवा की निष्ठा स्मृतिपथ हो. जाती है। :: गुरुदेव के सतत परिश्रम तथा उनकी विलक्षण साहित्यसेवा की झांकी
की स्मृति उस कलम को देखते ही ताज़ा हो उठती है। ...' :
हो उठती झावा या
मार्ग