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प्रश्नों के उत्तर .. ommmmmmmmmmmmmmmirmirmirmirr . शासन-प्रणाली में आमूल परिवर्तन होना चाहिए । सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्थाओं में संशोधन होना चाहिए । किन्तु यह परिवर्तन और संशोधन अहिंसा-सिद्धान्त को-जीवन-पथ के रूप में अपना कर किया जाना चाहिए । अहिंसा की भावना के नेतृत्व के बिना किया. गया कोई भी काम धीरे-धीरे हिंसा की ओर ही अंग्रेसर होता चला. जाता है, अतः जो कुछ भी हो वह अहिंसा के नेतृत्व में ही हो। पर इस के साथ-साथ इस बात का भी संदा ध्यान रखना होगा कि बलप्रयोग के आधार पर मानवीय सम्बन्धों की भित्ति कभी खड़ी नहीं की जा .. सकती। कौटुम्बिक और सामाजिक जीवन के निर्माण में बहुत अंशों तक सहानुभूति, दया, प्रेम तथा सौहार्द की नितान्त आवश्यकता रहती है। .....
.. आज जिन देशों में प्रजातंत्र है, उन देशों में यद्यपि अपनी- . अपनी जनता के सुख-दुःख का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है, किन्तु दूसरे देशों की जनता के साथ वैसा उत्तम व्यवहार नहीं किया.
जाता। बातें तो बहुत सात्त्विक और तत्त्वनिर्माण की जाती हैं, परन्तु.. .. - व्यवहार उन से विल्कुल उलटा किया जाता है। दूसरे देशों पर .. • अपना स्वत्व बनाए रखने के लिए राजनैतिक गुटबंदियां की जाती
हैं, उनके विरुद्ध प्रचार करने के लिए लाखों रुपया स्वाहा किया. __ जाता है, और इस पर भी यह कहा जाता है कि हम उन की भलाई.
के लिए उन पर शासन कर रहे हैं। शासनतंत्र के द्वारा अपना . अधिकार जमा कर उन देशों के धन और जनबल का मनमाना ।
उपयोग किया जाता है। यह सब हिंसा नहीं तो और क्या है ? यदि राष्ट्रों का निर्माण अहिंसा के आधार पर किया जाए और हिंसक व्यवहार को कोई स्थान न दिया जाए तो राष्ट्रों में पारस्परिक अविश्वास और प्रतिहिंसा की भावना देखने को भी न मिले। ... समस्त राष्ट्रों का..एक विश्वसंघ हो, जिस में समस्त राष्ट्र, समाज