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सतरहवां अध्याय . . .८८६. annammmmmmmmmmmmmmmmminen
सर्वभूतानि" यह कह कर हिंसा का विरोध किया गया है किन्तु वही " दर्शन "वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति" यह कह कर हिंसा का समर्थन करता है। इसीलिए ब्राह्मणसंस्कृति के एक-छत्र राज्य के नीचेः . भारतीय लोग अपने आराध्यदेव को पशुवलि या नरवलि. की भेंट करके अपने को स्वर्गाधिकारी बनाया करते थे। यद्यपि बौद्धों ने.. ब्राह्मण संस्कृति के "वैदिकी हिंसा, हिसा न भवति" के सिद्धान्त को निरा ढकोसला कहने में ज़रा भी संकोच नहीं किया । और साथ । - में संसार को अहिंसा का दिव्य संदेश भी दिया, किन्तु उनकी. . ___ अहिंसा पंगु अहिंसा है, उसमें अनेकों दोष पाए जाते हैं। महात्माः . ..बुद्ध एक ओर अहिंसा की बात कहते हैं और दूसरी ओर स्वयं सूअर ...यादि पशुओं का मांस निःसंकोच खा जाते हैं।.... ....."
जापान, लंका और वर्मा आदि के निवासी वौद्ध मांसाहारी हैं, अहिंसा-सिद्धान्त को मानते हुए भी ये लोग मांस खाते हैं, यदि . इन से कोई पूछे कि तुम अहिंसा को मान कर भी मांस क्यों खाते .. हो? तो वे उत्तर में कहते हैं कि हम अपने हाथ से पशुओं को कहां मारते हैं ? वाज़ार में मांस मिलता है, और हम उसे खरीद लाते हैं।
इसमें हम को हिंसा कहां लगती है ? जापान आदि देशों में मांस .. - बेचने वालों की दुकानों पर लगे बोर्डों पर लिखा रहता है-not :
killed for you, अर्थात्-तुम्हारे वास्ते नहीं मारा गया है। यह मांस तुम्हारे उद्देश्य से तैयार नहीं किया गया है। इन बोर्डों के . लगाने का यही उद्देश्य होता है कि बौद्ध साधु "मांस हमारे लिए . तैयार नहीं किया गया" यह समझ कर मांस ग्रहण कर सकें। बौद्धों: की अहिंसा में पशुजगंत की सर्वथा उपेक्षा करदी गई है। ऐसी
अहिंसा को शुद्ध अहिंसा कैसे कहा जा सकता है ? ' ...... ईसाइयों के धर्मग्रन्थ वाइविल (BIBLE) की दस प्रांज्ञाओं में ... एक आज्ञा है"--"Thou shall not kiil'' अर्थात्-तू किसी को मत