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• सतरहवां अध्याय
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अहिंसक वनने की. पाशा तो की जा सकती है, किन्तु कायर व्यक्ति कभी अहिंसक नहीं बन सकता। वस्तुत: अहिंसा के साथ कायरता ।
का कोई सम्बन्ध नहीं है। ....... ... ... ... .. .. भारत की परतंत्रता का कारण अहिंसा नहीं है । अहिंसा को .. भारतीय परतंत्रता का कारण कहना एकः ज़र्वदस्त ऐतिहासिक । भ्रान्ति है। भारतीय इतिहास पर दृष्टिपात करने से पता चलता है कि भारत पर जव पृथ्वीराज चौहान का शासन था तो. उस . समय भारत के साथ विदेशी शक्तियों का संघर्ष चल रहा था। इतिहास बतलाता है कि ग़ज़नी के यवन बादशाह शहाबुद्दीन गौरी ने भारत पर २७ वार आक्रमण किया था, किन्तु २७ बार ही उस , को मुह की खानी पड़ी थी। वीरशिरोमणि पृथ्वीराज चौहान तथा ..
इनके वीर सैनिकों ने बहुत बुरी तरह इसको पछाडा था। भारत के . ... वीर सैनिकों की वीरता का वे लोहा मानते थे, किन्तु भारत के
अधिनायक जव आपस में ही लड़ने. लग गए और जव इन को .
फूट पिशाचनी ने बहुतं बुरी तरह घेर लिया तव इन का सर्वतो- . .... मुखी-हास होने लग गया। पृथ्वीराज चौहान और जयचंद की फूट ने .. . तो भारत का सत्यानाश कर दिया । इतिहास बतलाता है कि देश- ..
द्रोही जयचंद ने पृथ्वीराज को अपमानित और पराजित करने के लिए स्वयं शहाबुद्दीन को निमंत्रण भेजा, उसके साथ मिल कर .. . वह स्वयं पृथ्वीराज से लड़ा । अन्त में, पृथ्वीराज पराजित हो गया, :
"परिणाम यह हुआ कि यवनसत्ता ने भारत को अपने अधीन कर.. ...' लिया। इस ऐतिहासिक सत्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय ...
परतंत्रता का कारण अहिंसा नहीं, बल्कि आपस की फूट है। आपस . . की फूट ने ही भारत को परतंत्र बनाया और इस की स्वतंत्रता को .': - समाप्त किया । अहिंसा तो मनुष्य को वीर और साहसी बनाती हैं, ...
उस में विश्वप्रेम का संचार करती है। संसार में जो कुछ शान्ति