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प्रश्नों के उत्तर
दृष्टिगोचर हो रही है और मानव-जगत में दया, क्षमा, करुणा, परोपकार, सहानुभूति आदि जो स्वर्गीय भावनाएं पाई जा रही हैं यह सव अहिंसा की ही बहुमूल्य देन हैं। ...
अहिंसा की क्या वात कही जाए ? अहिंसा ही परम धर्म है। अहिंसा ही परम ब्रह्म है। अहिंसा ही सुख-शान्ति देने वाली है। अहिंसा ही संसार का त्राण करने वाली है। यही मानव का सच्चा धर्म है । यही मानव का सच्चा कम है । यही वीरों का सच्चा वाना है। यही वीरों की प्रमुख निशानी है। इस के विना न मानव की शोभा है, और न उसकी शान है। मानव और दानव में अहिंसा और हिंसा का ही तो अन्तर है ? अहिंसा मानवी शक्ति है और हिंसा दानवी । जबसे मानव ने अहिंसा को भुला दिया है, तभी से वह दानव वनता चला जा रहा है और इसकी दानवता का अभिशाप इस विश्व को भुगतना पड़ रहा हैं। विश्व में जो अशान्ति, कलह, .. उपद्रवं हो रहे हैं तथा युद्धों का जो तांता लग रहा है, इस के मूल... में दानवी भावना ही काम कर रही है। फिर भी मानव इस सत्य को .. समझ नहीं पा रहा । किन्तु वह दिन दूर नहीं कि जब यह मानव- .
जगत अहिंसा की महत्ता को समझेगा और इसे अपना कर अपने ... . भविष्य को उज्ज्वल, समुज्ज्वल बनाने का वुद्धि शुद्ध प्रयास करेगा। . ऐसा किए विना दूसरा इलाज भी तो कोई नहीं है। अहिंसा ही एक
ऐसा सर्वोत्कृष्ट और सर्वोत्तम साधन है कि जो विश्व में शान्ति - स्थापित कर सकता है, और विश्व की समस्त समस्याओं का .
समाधान भी कर सकता है।