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प्रश्नों के उत्तर
मरना कोई नहीं चाहता । दुःख, वेदना, सभी को प्रिय है । इसलिए किसी जीव को दुःख नहीं देना चाहिए। दूसरों को सता कर प्राप्त किया गया सुख सच्चा सुख नहीं होता। इसके अलावा, कोई व्यक्ति यदि पने सुख के लिए किसी को सताता है तो यह स्वाभाविक ही है कि दूसरा व्यक्ति भी समय पाकर पहले व्यक्ति को सताएगा । इस प्रकार यदि दूसरों को सता कर सुख प्राप्त करने का सिद्धान्त अपना लिया जाए तो एक दिन सभी जीव दुःखी हो जाएंगे । ढूढने पर भी संसार में कोई सुखी नहीं मिल सकेगा । अंत: किसी का अनिष्ट नहीं करना चाहिए ।
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... किसी भी कार्य को करने से पहले यह विचार कर लेना चाहिए कि मेरे इस कार्य से किसी को हानि तो नहीं पहुंचती, किसी का जीवन स्वाहा तो नहीं होता, यदि ऐसा होता हो तो उस कार्य को नहीं करना चाहिए। क्योंकि तुम यदि किसी के हित की चिन्ता करते हो, उसे सुरक्षित रखते हो, तो तुम्हारा हित भी दूसरों द्वारा सुरक्षित रह सकेगा । वस्तुतः "सुखी रहें सब जीव जगत के कोई कभी न घबरावे'' की मंगल कामना ही मानव जगत को ग्रधि, व्याधि और उपाधि जन्य दुःखों से मुक्त कर सकती है और यही भावना परिवार, समाज और राष्ट्र के संघर्षो का ग्रन्त करके विश्व की समस्त समस्यायों को समाहित कर सकती है ।
हिंसा- सिद्धान्त ही विश्व में शान्ति की स्थापना कर सकता है, इस सत्य को प्रमाणित करने के लिए किसी प्राचीन इतिहास को टटोलने की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान का इतिहास ही अहिंसा की महत्ता, विश्व की समस्याओं को समाहित करने में, उसकी क्षमता को प्रकट करने में में पर्याप्त है । कोरिया का युद्ध जो विश्वयुद्ध की भूमिका बनता जा रहा था, वह शान्त किस ने किया था ? अमेरिका: के परमाणुवम, रूस और चीन की प्रचण्ड सैन्यशक्ति जिस युद्ध की
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