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.८७३ . प्रश्नों के उत्तर
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सकता । इस लिए जैनधर्म का विश्वास है कि धर्म का प्रादुर्भाव व्यक्ति . . . के कल्याण के लिए हुआ है, और उससे जब समष्टि का कल्याण होता . - है, तव विश्व की समस्याए अपने-आप समाहित हो जाती हैं।
... वर्तमान युग को हम अशान्ति का युग कह सकते हैं। आज. संसार के सभी देशों तथा प्रदेशों की स्थितियों पर दृष्टिपात करने ...
से यह ज्ञात होता है कि आज कोई भी ऐसा राष्ट्र नहीं है, जिस में ... - किसी न किसी प्रकार की अशान्ति न हो। सभी देश चिन्ता और ... भय से ग्रस्त हो रहे हैं। छोटे-बड़े सभी लोग दुःखों के प्रहारों से .. आहत हैं। कहीं अन्न की समस्या है तो कहीं वस्त्र की। कहीं राजनैतिक समस्याए उलझ रही हैं तो कहीं साम्प्रदायिक समस्याए देश की शान्ति को नष्ट कर रही हैं। कहीं भाषा का मोह उपद्रव मचा.. रहा है तो कहीं प्रान्तीयता की भावना भूचाल ला रही है। इस प्रकार सारा संसार दुःखों की भट्ठी में जल रहा है। . . . . . - दुखों की इस आग को शान्त करने के लिए प्रत्येक राष्ट्र : प्रयत्नशील है। बड़ी-बड़ी विस्तृत अर्थसाध्य योजनाएं बनाई जा रही. " हैं। शस्त्र-अस्त्रों के बनाने के लिए फैक्टरियाँ खोली जा रही हैं। परमाणु बम, हाईड्रोजन बम तथा नाइड्रोजन आदि विविध बम तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा, अन्य अनेकविध नरसंहारक गैसें भी बनाई जा रही हैं, तथा हज़ारों मील ऊंचे आकाश में उड़ने वाले राकेट तैयार किए गए हैं । ये वे शान्ति के साधन हैं जो प्रकाश में आ चुके ... हैं । परोक्ष में न जाने कितने जहरीले शस्त्र वनाए गए हैं या. बनाए जा रहे हैं । इन साधनों से आशा की जा रही है कि विश्व में शान्ति की स्थापना होगी। विश्व की समस्त समस्याएं समाहित की जाएंगी।. .
मानव का भविष्य सुरक्षित, निरापद बन सकेगा। अधिक क्या ? . समझा जा रहा है कि इस सामग्री द्वारा स्वग को भूतल पर ला कर
रख दिया जाएगा। . . . . . . . ..'