________________
प्रश्नों के उत्तर .. . .mmmmxm.in
की क्या मान्यता है ? . उत्तर-संसार में दो प्रकार की प्रवृत्तियां पाई जाती हैं, प्रथम संसार-मूलक और दूसरी मोक्ष-मूलक । संसार-मूलक प्रवृत्ति सांसारिक जीवन का पोपण करती है जवकि मोक्षमूलक प्रवृत्ति उसका शोषण । सांसारिक प्रवृत्तियों से जन्म-मरण की वृद्धि होती है और अध्यात्म प्रवृत्तियां आत्मा कर कल्याण करती हैं, जन्म-मरण की परम्परा से वचा कर आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप में ले आती हैं, उसे परमात्मा बना डालता है
.. ... .... .. जैन धर्म निवृत्ति-प्रधान धर्म है, वह आध्यात्मिकता की प्राप्ति । ' के लिए सर्वतोमुखी प्रेरणा प्रदान करता है । आध्यात्मिक जीवन का ..
अन्तिम लक्ष्य परमसाध्य मोक्ष को प्राप्त करना होता है। संसार की मोह-माया उसके लिए बंधन रूप होती है । इसी लिए वह उसे अपनी
प्रगति में बाधक समझता है । जन्म-मरण की पोषिका कोई. भी . प्रवृत्ति उसके लिए त्याज्य एवं हेय होती है, सांसारिकता को : · बढ़ाने वाली सभी चीजों से अध्यात्मजीवन का कोई लगाव नहीं ... - होताः। वह सदा उन से दूर रहता है । देवी, देवताओं की. पूजा, ... मढ़ी-मसानो ग्रादि को उपासना सांसारिकता का पोषण करती है, . इसी लिए जैन धर्म, देवी देवताओं तथा मढ़ी-मसानी अादि की पूजा.. में कोई विश्वास नहीं रखता और आध्यात्मिक दृष्टि से . उसका सर्वथा निषेध करता है। देवी-देवताओं की पूजा सांसारिकता का. पोषण किस प्रकार करती है ? यह नीचे की पंक्तियों में समझ
लीजिए। .. .. ... ...... . . . . . ...... .. .... .. मढ़ी-बसानी या देवी-देवता की पूजा करने वाला व्यक्ति यही
समझ कर पूजा करता है कि इससे मुझे धन की प्राप्ति होगी। मेरा व्यापार चमकेगा। युद्ध में विजयलाभ होगा। मैं शासक बनूगा।