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और उन का पर ऐसा होता यह कथन सात
: प्रश्नों के उत्तर ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~i.. m ~~~ ~~~~~~~~~~~~~~~~rrrrrr... अनुभव में आता है । ऐसी दशा में यह कैसे कहा जा सकता है कि मूर्ति का सर्पक पाकर बुरे विचार हट जाते हैं और विचारों में .... सात्त्विकता का संचार होता है। विश्वास रखो, विचारों की शुद्धि .. के साथ मूर्ति का सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि ऐसा होता, तो जिस मकान की दीवारों पर भगवान् की मूर्तियां लगा . रखी हैं उस में अवस्थित लोगों के वासनामय संस्कार समाप्त हो ... जाने चाहिएं थे और उन का अन्तर्जीवन सर्वथा सात्त्विक और . . निर्विकार बन जाना चाहिए था। पर ऐसा होता नहीं है। .. .
मूर्ति द्वारा जीवन का विकास होता है, यह कथन सर्वथा .. असत्य है। क्योंकि चित्र ही यदि जीवन को बदल देने वाले होते . तो चित्रकारों तथा चित्र विक्रेताओं के जीवन अवश्य परिवर्तित हुए .. या निर्विकारी होते हुए दिखाई देने चाहिए थे । और वीतरागी.... जीवनः को चित्रित करने वाला व्यक्ति अवश्य वीतरागता के उच्च .. शिखर पर पहुंच जाना चाहिए था। पर ऐसा होता नहीं है । और
न कभी ऐसा हुया है, और न कभी ऐसा हो सकेगा । अतः मूर्ति को .. जीवन के सुधार का या उन्नति का कारण नहीं कहा जा सकता।
: इस के अलावा, समाचार-पत्रों द्वारा मन्दिरों में, धर्म-स्थानों में चोरी होजाने के समाचार प्राय : सदा सुनने को मिलते रहते हैं। कहीं - यदि भगवान् का मुकुट चुरा लिया जाता है, कहीं जगदम्बा की नथ ..
चुरा ली जाती है। इस प्रकार अनेकों दुर्घटनाएं सुनने को मिलती ... हैं। ऐसी दशा में मूर्ति का सम्पर्क विचारों की पवित्रता का कारण , है, यह कैसे माना जा सकता है ? मूर्ति विचारों की पवित्रता का कारण होती तो चोर जव मूर्ति का मुकुट चुराने पाता है, उसके अन्य ... - आभूषण चुरा कर ले जाता है तो उस समय उसके विचारों में पवित्रता क्यों नहीं उत्पन्न हो पाती ? क्यों भगवान् और भगवती : जगदम्वा उससे अपना आप लुटवा वैठते हैं ? ... ... ... .