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प्रश्नों के उत्तर
लगा, उसने राज्य वापिस कर दिया और इस तरह विष्णुकुमार के प्रभाव से उस समय यह संकट दूर हुआ ।
मुनिजनों पर संकट ग्राया देखकर लोगों ने अन्न-जल का त्याग कर दिया था । संकट टलने पर सब ने पारणा किया । श्रीर.. सव विष्णु कुमार जी महाराज द्वारा कृतरक्षा के बन्धन में अपने को वद्ध अनुभव करने लगे । और जिस दिन यह रक्षा हुई थी उसी दिन से प्रति वर्ष रक्षा बंधन के रूप में एक उत्सव या पर्व मनाया जाने लगा | यह सत्य है कि उस समय रक्षा बंधन को मनाने का यह रूप नहीं था, जो ग्रांज उपलब्ध हो रहा है । ग्राज तो बहिनें भाइयों के हाथों में राखियां बांध कर इस पर्व को मनाती हैं ।
आचार्य जयन्ती
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जैन-धर्म- दिवाकर पूज्य श्री ग्रात्मा राम जी महाराज श्री * . वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणसंघ के प्रधानाचार्य थे। आप श्री की जयन्ती भाद्रपद शुक्ला द्वादशी को समूचे भारत में बड़े समारोह के साथ मनाई जाती है । इस दिन स्थानकवासी समाज में एक नया उत्साह देखने को मिलता है । ग्रसहायों और ग़रीब लोगों को भोजन खिलाया जाता है । रात्रि को कवि सम्मेलन, संगीत-सम्मेलन होते हैं । श्रद्धेय आचार्य प्रवर पूज्य श्री ग्रात्मा राम जी महाराज का जन्म वि० सं० १९३९ भाद्रपद शुक्ला द्वादशी को हुआ । पंजाब में जिला जालन्धर में तहसील राहों आप की जन्म भूमि है। वहां के प्रसिद्ध व्यापारी सेठ मनसा राम जी आप के पिता थे और श्री परमेश्वरी देवी माता । जिस ने धर्म- दिवाकर को उदित करके पूर्वदिशा का स्थान ग्रहण करने का सुअवसर प्रदान किया।
आचार्य प्रवर का शैशव काल वड़ा संकटमय रहा । प्रतिकूल परिस्थितियों की थपेड़ें ग्रापं को निरन्तर परेशान करती रहीं । ग्राठ