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पन्द्रहवां अध्याय
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संरक्षण किया | यज्ञ के नाम पर पशुओं के प्राणों से खिलवाड़ करने 'वाले स्वर्ग-गामियों को स्वर्ग का सच्चा मार्ग बताया । नदियों और
समुद्रों में स्नान करने या पाषाण- पूजा में धर्म समझने की लोकमूढ़ता that freकरण किया । लोकभाषा को अपने उपदेश का माध्यम वना कर पण्डितों के भाषाभिमान को समाप्त किया। संक्षेप में यह कि भगवान् महावीर ने समाज के समग्र मापदण्ड को बदल डाला और सम्पूर्ण जीवनदृष्टि में एक भव्य और दिव्य नूतनता उत्पन्न कर दी । चैत्रशुक्ला त्रयोदशी भगवान् महावीर की जन्मतिथि हैं । इसी तिथि को विहार प्रान्त के कुण्डलपुर नगर में भगवान् महावीर ने जन्म लिया था । इस दिन भारतवर्ष के सभी जैन लोग अपना समस्त कारोवार वन्द करके अपने-अपने स्थानों पर बड़ी धूमधाम से महावीर जयन्ती मनाते हैं । ब्राह्ममुहूर्त्त में प्रभातफेरियां निकलती हैं, प्रातः रमणीक और विशाल पण्डालों में भगवान् महावीर के जीवनचरित्र को ले कर भाषण होते हैं; भजन और कविताएं पढ़ी जाती हैं । मध्याह्न में जलूस निकलते हैं, रात्रि में पुनः सार्वजनिक सभां का आयोजन होता है । उसमें प्रभु जीवन -सम्बंधी घटनाओं पर :: प्रकाश डाला जाता है, कवि सम्मेलन होता है । इस प्रकार खूब समारोह के साथ महावीर जयन्ती का पुण्य पर्व मनाया जाता है । आकाशवाणी (रेडियो) द्वारा भगवान् महावीर के जीवनवृत्त लोगों तक पहुंचाए जाते हैं, प्रभु के चरणों में श्रद्धापुष्प अर्पित किए जाते हैं । प्रायः भारत का प्रत्येक राज्याधिकारी इस उत्सव में सम्मिलित होता है । भारत भर में बहुत सी प्रान्तीय सरकारों ने अपने-अपने प्रान्तों में महावीर जयन्ती के पुण्यदिवस को 'श्रवकाशदिवस' घोषित कर दिया है । केन्द्रीय सरकार से महावीर जयन्ती की छुट्टी के लिए जैनों द्वारा प्रयत्न चालू है । ब्रह्मा में महावीर जयन्ती की छुट्टी होती है । कितना ग्राश्चर्य है कि विदेशी केन्द्रीय