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प्रश्नों के उत्तर
.. बारात में इस समाचार के फैलते हो.. कोहराम मच गया। जूनागढ़ के अन्तःपुर में जव राजकुमारी राजीमती को यह समाचार : मिला तो वह पछाड़, खाकर गिर पड़ी । बहुत से .. लोग नेमिनाथ । जी को लौटाने दौड़े, किन्तु . सब व्यर्थः । भगवान ने इस पाप-पूर्ण वन्धन में फंसने से सदा के लिए इन्कार कर दिया । अन्त में, वे : गिरनार पर्वत पर चढ़ कर आत्म-ध्यान में लीन हो गए। और ... एक दिन केवल-ज्ञान पाकर अन्य तीर्थंकरों की भान्ति इन्होंने चतुर्विध संघ की स्थापना की और संसार में अहिंसाः धर्म का प्रसार किया ।: ... . ... . . . . . . .
भगवान अरिष्टनेमि का जन्म श्रावण शुक्ला पंचमी को, दीक्षा श्रावण शुक्ला छठ को, केवल-ज्ञान आश्विन कृष्णा अमावस्या और , निरिण आषाढ़ शुक्ला अष्टमी को हुआ। ग्राप की निर्वाण-भूमि . काठियावाड़ में गिरनार पर्वत है जिसे पुराने युग में खेतागिरि भी कहते थे। आप ने विवाह नहीं कराया, आप ३०० वर्षः गृहवास में रहे, ७०० वर्ष तक आप ने संयम का पालन किया और ५३६ मुनियों के साथ निरिण-पद प्राप्त किया। ... :: ........
भगवान पार्श्वनाथ जी- ... ...........
आप जैन-धर्म के २३वें तीर्थकर हैं। आप का अपने युग में बड़ा विलक्षण प्रभाव था । आप की स्तुति में लिखे हजारों स्तोत्र आप की लोक-प्रियता तथा आप के प्रति सर्वतोमुखी श्रद्धा एवं
आस्था के ज्वलन्त उदाहरण हैं- 1... हज़ारों स्तोत्र भगवान के नाम " पर बने हुए हैं, जिन्हें लाखों नर-नारी बड़ी श्रद्धा तथा. भक्ति के साथ नित्य-पाठ के रूप में पढ़ते हैं । कल्याण-मन्दिर स्तोत्र तो. इतना अधिक प्रसिद्ध है कि शायद ही कोई धार्मिक मनोवृत्ति का..