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... प्रयोदश अध्याय. .. चैत्र शुक्ला त्रयोदशी का दिन वह पवित्र दिन है जो मानवता के लिए सदैव आदर एवं सन्मान का दिन बना रहेगा। इस दिन समूचे भारत वर्ष में महावीर-जयन्ती बड़े समारोह के साथ .. मनाई जाती है। .. . ..... .....
महावीर का जन्म नाम वर्धमान रखा गया था । जैन शास्त्रों की मान्यता के अनुसार दशवें स्वर्ग से च्यव कर जब महावीर का जाव. माता त्रिशला के गर्भ में आया था, तभी से महाराज सिद्धार्थ के . . राज्य में धन, जन की सर्वतोमुखी वृद्धि होने लगी थी । अडोसीपड़ोसी राजा लोग भी सिद्धार्थ की दासता स्वीकार करने लगे थे,
और सिद्धार्थ जिस काम में हाथ डालते थे, वह निर्विघ्न समाप्त .. हो जाता था। तथा उन्हें इच्छित लाभ की प्राप्ति होती थी। धन;
परिजन तथा अन्य परिवार आदि में पाशातीत वृद्धि होने के कारण 'माता त्रिशला और नरेश सिद्धार्थ ने निश्चय किया कि हमारे वैभव और ऐश्वर्य में जो दिन दूनी और रात चौगुनी उन्न
ति दृष्टिगोचर हो रही है, यह सब गर्भस्थ जीव के ही पुण्य का ... अपूर्व प्रभाव है । अतः जब यह जीव हमारे घर में जन्म लेगा, तब .
इस का नाम वर्धमान रखा जाएगा। परिणाम स्वरूप गर्भ-काल पूर्ण होने पर जब महावीर ने जन्म लिया तव माता-पिता ने पूर्व निश्चय के अनुसार नाम संस्कार के दिन इन का नाम वर्धमान रखा।
:: ....... ... ....: . ... वर्धमान बचपन से ही बड़े साहसी और निर्भीक थे । भय को कभी इन्होंने अपने निकट नहीं आने दिया। एक बार ये कुछ साथियों के साथ खेल रहे थे । इतने में अचानक एक सर्प कहीं से प्रा निकला, और इन की ओर फुकारे मारने लगा। अन्य बालक तो डर कर भाग गए किन्तु इन्होंने रस्से की भांति उस सर्प को