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. . : योदश अध्याय . .
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maaaaaamiricanimiamiliar महावीर ने संसार को स्वतन्त्रता का सन्देश दिया हैं। मुक्ति सच्चे धर्म में शरण लेने से मिलती है, न कि समाज की बाहरी रीती, रिवाजों से। .
-डाक्टर टैगोर . जैन धर्म के सिद्धान्त मुझे अन्यन्त प्रिय हैं । मेरी आकांक्षा है -..कि मृत्यु के पश्चात् मैं जैन-परिवार में जन्म धारण करूं।
-जार्ज वार्ड शाह : . इस प्रकार अन्य भी अनेकों अभिमत महावीर के सम्बन्ध में
उपलब्ध होते हैं, किन्तु विस्तार के भय से कुछ एक ऊपर दिए हैं। ... प्रश्न--तीर्थकरों की शरीरगत ऊंचाई कितनी थी? . .... उत्तर--भगवान ऋषभदेव के शरीर की ऊंचाई ५०० धनुष
की थी ! अजितनाथ की ४५० धनुष, संभवनाथ की ४००, अभिनन्दन जी की ३५०, सुमतिनाथ जी की ३००, पद्मप्रभ जी की २५०, सुपार्श्वनाथ जी २००, चन्द्रप्रभ जी की १५०, सुविधिनाथ जी की १००, शीतलनाथ जी की ६०, श्रेयांसनाथ जी की ८०, वासुपूज्य जी की ७०, विमलनाथ जी की ६०, अनन्तनाथ जी की ५०, धर्मनाथ जी की ४५, शान्तिनाथ जी की ४०, कुन्थुनाथ जी की ३५, अरनाथ जी की. ३०, मल्लिनाथ जी की २५, मुनिसुव्रत जी की २०, नमिनाथ जी की १५, और अरिष्टनेमि जी की शरीरगत ऊंचाई.१० धनुष की थी। भगवान पार्श्वनाथ जी के शरीर की .. ऊंचाई नौ हाथ और भगवान महावीर के शरीर की ऊंचाई सात .. हाथ की थी। ....
....... .... ... प्रश्न--सागरोपम का क्या अर्थ होता है ? - उत्तर-एक वार अांख की पलक गिराने में असंख्यात समय