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७८. . प्रश्नों के उत्तर.... ... . ~~~~~~
i mirmirmirmire श्रेयस्कारी नहीं हो सकती।.......... ...पाठक समझते ही हैं कि बाड़े में बन्द पशुओं को हिंसा उन्होने स्वयं अपने हाथों से नहीं करनी थी। इस के अतिरिक्त, बाड़े में प्राणियों की संख्या सीमित है किन्तु जल के. जो जोव मरे उन की तो कोई संख्या ही नहीं है, वे तो असंख्य हैं । फिर बाड़े में . वन्द थोड़े से जीवों की हिंसा के लिए तो उन्होंने खेद प्रकट किया। यहाँ तक कि. विवाह करना अस्वीकार कर दिया किन्तु जलादि
जीवों की हिंसा के लिए ऐसा कुछ भी नहीं कहा, न उन को हिंसा ... के लिए खेद या पश्चात्ताप किया। ऐसी दशा में एकेन्द्रिय जीवों से
पंचेन्द्रिय जीव प्रधान रहें या नहीं ? और एकेन्द्रिय जीवों की उपेक्षा करके भी पंचेन्द्रिय जीवों की रक्षा करना सिद्धान्त हया. या
नहीं ?. : .. ... .. . . . . . . .....इन युक्तियों द्वारा यह बताना इष्ट है कि स्थानकवासी पर..म्परा में एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीव समान नहीं माने जाते हैं ।
किन्तु एकेन्द्रिय जीवों की अपेक्षा पंचेन्द्रिय जीवों को बहुत अधिक महत्त्व प्राप्त है। पंचेन्द्रिय जीव की रक्षा का या पंचेन्द्रिय जीव के कल्याण का प्रश्न हो और दूसरी ओर एकेन्द्रिय जीव की रक्षा का प्रश्न हो, तो सर्व से पहले पंचेन्द्रिय जीव की रक्षा करनी चाहिए। तदनन्तर एकेन्द्रिय जीव की । तेरहपन्था लोग दया-दान के विरोधी...
होने से ही एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीव को एक समान वताकर - एकेन्द्रिय की हिंसा के नाम पर पंचेन्द्रिय जीव की रक्षा को पाप innimi
inirim '... ... Xजइ मज्झ कारणा एए, हम्मन्ति सुबहु जीवा। .:. . ....
. :: ...:: न मे एयं तु निस्सेसं, परलोगे भविस्सइ ॥ :
.. .. ... -उत्तराध्ययन अ-२२/१२ ... :