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- चतुर्दश अध्याय
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छठी युक्ति लीजिए । एक व्यक्ति तेरहपन्थी साधुओं के पास आया। उन्होंने "उसे सभी जीव एक समान होते हैं " यह सिद्धांत .. समझाया। बात उसकी समझ में आ गई । उस ने निवेदन किया.. महाराज ! साग सब्ज़ी में तो असंख्य या अनन्त जीव हैं किन्तु बकरे . में एक जीव है। फिर जब एक ही जीव की हिंसा से मेरा काम
चल सकता है तो असंख्य या अनन्त जीवों की हिंसा क्यों करू ? - अतः आप नियम करा दीजिए कि आज से सब्जी का सेवन नहीं .. - करूगा और वकरा मार कर अपना जीवन-निर्वाह किया करूंगा।
ऐसी दशा में तेरहपन्थी साधु क्या कहेंगे ? सब्जी का नियम करा- :
येंगे या नहीं ? यदि नहीं करायेंगे तो सभी जीवन एक समान होते .. हैं' इस सिद्धान्त को क्यों स्वीकार करते हैं ? .. ....
सातवीं युक्ति लीजिए । जैन-शास्त्रों में त्रस पंचेन्द्रिय जीवों . की हिंसा करने वाले की गति नरक की वतलाई है, परन्तु क्या .. .. : कहीं किसी जगह यह भी कहा है कि स्थावर जीव की हिंसा के ...पाप से कोई जीव नरक में गया है ? उत्तर स्पष्ट है कोई नहीं।
आठवीं युक्ति लीजिए । भगवान.अरिष्टनेमि का जीवन हमारे । ' सामने है। भगवान को इस वात का वोध था कि जल की एक-एक .
बून्द में असंख्य-असंख्य जीव हैं। ऐसा होते हुए भी उन्होंने राजीमतो के यहां जाने से पूर्व माटी, तांबा, पीतल, सोने और चांदी इन .. में से प्रत्येक के बने हुए एक सौ आठ घड़ों के जल से स्नान किया। यह कितने जीवों की हिंसा हुई ? फिर वरात सजा कर राजीमती . के यहां गए । उस में भी कितने त्रस और स्थावर जीवों की हिंसा ...
हुई होगी ? इतनी बड़ी हिंसा के समय तो वे कुछ भी न बोले और ... राजीमती के यहां बाड़े में बन्द पशुओं को देख कर वोले-मेरे का
रण होने वाली यह बहुत जीवों की हिंसा मेरे लिए. परलोक में