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जैन पर्व
पन्द्रहवां अध्याय प्रश्न-आध्यात्मिक जगत में पर्व का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-आध्यात्मिक तथा सामाजिक जगत में पर्व का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है । पर्व में अनेकों गुण पाए जाते हैं। पर्व किसी सम्प्रदाय या जाति के जीवन के चिन्ह होते हैं। एक विद्वान का
कहना है कि जिस लाठी में जितनी निकट-निकट गांठें होंगी, वह _ लाठी उतनी ही अधिक मज़बूत और चिरस्थायी होगी। ऐसे ही ।
जिस जाति में अपने पूर्वजों की मान्यताओं एवं परम्पराओं को । " जीवित रखने के लिए अधिकाधिक पर्व मनाए जाते हैं, वह जाति संसार में अनेकों क्रान्तियों के होने पर भी जीवित रहती है, संसार की कोई शक्ति उस के जीवन को समाप्त नहीं कर सकती। . इस तरह पर्व समाज की अस्तव्यस्त तथा विखरी हुई शक्ति को
केन्द्रित करने में सहायक होते हैं। . . . . . . . . .. . .. पर्व की सब से बड़ी विशेषता यह है कि पर्व समाज को ... व्यवस्थित एवं संगठित करता है, क्योंकि पर्व के दिन समस्त लोग
एक स्थान पर एकत्रित हो कर अपनी जाति की उन्नति और. अवनति के सम्बंध में सोच सकते हैं। यदि समाज अवनति की .
ओर जा रहा हो तो अवनति से बचा कर उन्नति की ओर उस का. . ... मोड़ मोड़ सकते हैं। इस में सन्देह नहीं कि जैन जाति पर समय1 . समय पर जैनेतर जातियों द्वारा प्राध्यात्मिक और सामाजिक हर .