________________
८०६.
प्रश्नों के उत्तर
..re
- अर्थात्-अग्नि में जलते हुए, कूप में गिरते हुए, तालाब में . डूबते हुए, ऊंचे से पड़ते हुए, जीवों को कोई वचावे तो ये संसार । के उपकार हैं। इनके करने से निश्चय ही भव-भ्रमण की वृद्धि .. होती है, ऐसे पापकारी कार्यों से प्राणी दुर्गति में भटकता है। ..
कोई मात-पितारी सेवा करे दिन रात,
मनमाना भोजन त्यां ने कराई। : बले खांधे कावड़ लियां फिरे त्याँ री, वले दोनों वक्ते स्नान कराई ताई ।। प्रो उपकार संसार तणो छ ।
-अनुकम्पा ढाल ११, कड़ी १८ अर्थात्-कोई गृहस्थ दिन-रात माता-पिता की सेवा करता है, उन्हें रुचि के अनुसार भोजन कराता है, काँवर (वहंगी) में उठाये फिरता है, दोनों वक्त स्नान कराता है तो यह सब उपकार संसार के हैं, जो दुर्गतियों में भटकाने वाले हैं।
__गृहस्थ ने औषध भेषज देई ने,
अनेक उपाय करी जीव वचावे ।
यह संसार तणो उपकार कियाँ में, .. मुक्ति रो मारग मूढ़ बतावे ।
अनुकम्पा ढाल ८, कड़ी ५ अर्थात्-ग्रीषध आदि देकर अंथवा अन्य उपायों से गृहस्थ का जीवन बचाना, संसार वढ़ाने वाला पापकारी उपकार है, मूढ़ . लोग इसको मुक्ति का मार्ग अर्थात् धर्म बता रहे हैं। . . . . 'कई एक . अज्ञानी इम कहे- ..