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प्रश्नों के उत्तर
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उस से तो हाथी को पाप ही लगा। पर तेरहपन्थी लोगों का ऐसा .. कहना ठीक नहीं है, क्योंकि जीवों को बचाना पाप होता तो भग़... वान उसे अवश्य फरमा देते कि तूने खरगोश को नहीं मारा, यह - तो तुझे पुण्यं या धर्म हुया, परन्तु अन्य जीवों को जो तूने अपने
मण्डल में ग्राश्रय दिया, यह तूने पाप किया । जव उस के वह पुण्यकर्म का वर्णन कर सकते हैं तो पाप कर्म का वर्णन करने में भगवान को संकोच हो सकता है ? दूसरी बात, हाथी ने अपने मण्डल में अनेकानेक जीवों को आश्रय दिया,उस से लगा, उसे पाप । यदि : इस बात को मान लें तो प्रश्न पैदा होता है कि एक खरगोश को,
नै मारने से हाथी मर कर मेघकुमार वना, पर उस ने जो अनेका". नेक जीव बचाकर पाप किया, उस को दुष्परिणाम स्वरूप क्या .. फल मिला ? पुण्य या धर्म तो हुआ एक जीव को न मारने का.
और पाप हुआ अनेकों जीवों को बचाने का । इस प्रकार धर्म या ... पुण्य की अपेक्षा पाप अधिक हुआ। ऐसी दशा में हाथी मर कर
मेघकुमार के भव को कैसे प्राप्त हो गया ? . . . . . . . ...राय-प्रसेणी सूत्र में राजा प्रदेशी का वर्णन आता हैं। प्रदेशी ... नास्तिक था । इसलिए वह द्विपद (मनुष्य-पादि), चतुष्पद (पशु .. - यांदि) आदि जीवों को मार डालता था, भिक्षुओं की भिक्षा भी। . . छीन लेता था, अपने राज्य को उसने बहुत दुःखी कर रखा था।
प्रदेशी के प्रधान मन्त्री का नाम चित्त था । चित्त वारह व्रत धारी .
श्रीवक था । राजा प्रदेशी द्वारा होने वाले अत्याचारों से जनता को ... बचाने के लिए उस ने केशी स्वामी से कहा-महाराज ! आप यदि... ... प्रदेशी को धर्म सुनावें तो प्रदेशी राजा को तथा उसके हाथ से मारे ... जाने वाले मानुप,मानुपी, मृग आदि प्राणियों को बड़ा लाभ होगा,
भिक्षुओं को भी लाभ होगा। : ...