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चतुदेश अध्याय
wimm .. तो होती है। जैनदर्शन ने जल के एक-एक विन्दु में पानी के असं... ....ख्य जीव कहे हैं। जल के आश्रित निगोद में अनन्त जीव होते हैं। ..
उन जीवों की हिंसा कर के ही साधु नदी पार करते हैं । किस लिए
करते हैं ? लोगों को.धर्मोपदेश सुनाने के लिए ही न ? और उनके ... द्वारा सुनाए जाने वाले धर्मोपदेश से यदि किसी को फायदा होता "
है तो ज्ञान, दर्शन, चारित्र तथा तप स्वीकार करने वाले थोड़े से ..मनुष्यों को ही। यदि एकेन्द्रिय जीव और पंचेन्द्रिय जीव समान हैं। ..... तो फिर असंख्य वल्कि अनन्त जीवों की हिंसा थोड़े से मनुष्यों के
हित के लिए क्यों की जाती है ? . ... तीसरी युक्ति लीजिए । एक साधु (तेरहपन्थी) आहार या शौच को गया, रास्ते में अचानक. वर्षा आ जाने से भीग गया। असंख्य जीवों की हिंसा हो गई । दूसरे साधु की असावधानी से कुछ चींटियें मर गई। तीसरे साधु के हाथ से प्रमाद वश चिड़िया को घात हो गई। तीनों ने प्रा कर गुरु से पालोचना की । तेरह‘पन्थ के मान्य सिद्धान्त के अनुसार पानी को हिंसा करने वाले को . अधिक प्रायश्चित्त देना चाहिए परन्तु होता यह है कि पानी के . .. जीवों की विराधना करने वाले की अपेक्षा चींटियों के हिंसक को
और उसकी अपेक्षा चिड़िया मारने वाले को प्रायश्चित्त अधिक .. दिया जाता है । इस से स्पष्ट हो जाता है कि इनकी मान्यता में कितनी भ्रांति है ? :: . . :: . . . . . . . .
चौथी युक्ति लीजिए । यदि एकेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीव एक समान हैं और दोनों की हिंसा भी समान है तो तेरहपन्थी साधु पंचेन्द्रिय जीव की हत्या करने वाले कसाई को अपना श्रावक क्यों नहीं बनाते । जव कि असंख्य और अनन्त एकेन्द्रिय जीवोंकीहिंसा