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प्रश्नों के उत्तर
प्रथम भगवान के केवलज्ञान महोत्सव को मनाना चाहिए और उसी में सम्मिलित होना चाहिए। इस निश्चय के वाद भगवान के दर्शन करने के लिए दर्शन - यात्रा की व्यवस्था के वास्ते मंत्री को प्रदेश दिया और इस शुभ समाचार को लेकर स्वयं अपनी पूज्य दादी म रुदेवी माता के चरणों में उपस्थित हुए। राजमाता के चरणों में नतमस्तक होने के अनन्तर उन्होंने ग्रर्ज़ की माता ! आज मैं ग्राप को एक शुभ समाचार सुनाने आया हूं । ग्राप के पुत्र आज केवलो वन गए हैं । केवल- ज्ञान प्राप्ति के उपलक्ष्य में बड़ा भारी उत्सव
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होने वाला है । देवी, देवता, मनुष्य, मानुपी सभी लोग उसमें सम्मि लित हो रहे हैं | आप भी चलिए । ग्राप प्रतिदिन अपने पुत्र को देखने की लालसा व्यक्त किया करती हैं और मुझे उपालंभ दिया करती हैं, कि तू मेरे पुत्र की खबर नहीं मंगाता । ग्राज वड़ा सुन्दर अवसर है मां ! तैयार हो जायो । भगवान के दर्शन होंगे और केवलज्ञान - महोत्सव देखा जाएगा ।
मरुदेवी माता उक्त समाचार सुन कर फूली न समाई | झट तैयार हो गई । और सहर्ष हाथी के हौदे पर बैठ गई । राजमाता के पीछे स्वयं भरत महाराज बैठ गए, ग्रन्य हज़ारों राजे महाराजे तथा चतुरंगिणी सेना भी साथ-साथ चली। इस प्रकार बड़े समारोह के साथ भगवान आदिनाथ के दर्शन करने के लिए भरत महाराज ने प्रस्थान किया । मरुदेवी माता मातृसुलभ ममता के कारणं विचार करती जा रही थीं-पता नहीं, मेरे पुत्र की क्या अवस्था है ? राजपाट छोड़े वर्षों बीत गए हैं, न जाने बेचारा किस दशा में बैठा होगा ? बड़ा निर्मोही हो गया है वह उसने ग्राज तक मेरी खबर तक नहीं ली । अच्छा, मिलू गो तो उपालंभ दूंगी.... समवसरण के पास ग्राने पर भरत बोले- माता ! अपने पुत्र की