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प्रश्नों के उत्तर
कर दी जाएगी फिर तो अन्य भी कई नियम भंग करने पड़ेंगे ।
कल्पना करो, रात्रि को पानी रख लिया गया। किसी कुत्ते या बिल्ली ने उसे गिरा दिया, या साधु की अपनी ही सावधानी से वह गिर गया, तो फिर क्या किया जाएगा ? श्रथवा जितना पानी रखा गया है, वह एक बार काम में ग्रा गया, दूसरी चार फिर शौच जाना पड़ गया, या शारीरिक विकार के कारण ५-१० बार शौच जाना हो गया, पानी तो पहली बार ही समाप्त हो चुका है, तब क्या करना होगा ? क्या रात्रि में ही किसी से पानी मंगाया जाएगा या रात्रि को स्वयं ही लोगों के घरों में जल के लिए अलख जगानी पड़ेगी ? आखिर क्या किया जाएगा ? यही न कि या तो शांत होकर बैठ जाना पड़ेगा, या फिर किसी गृहस्थ से - पानी मंगाना पड़ेगा ! यदि गृहस्थ से पानी मंगाया जाएगा ? तो क्या साधु-धर्म की मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी ? उत्तर स्पष्ट है,
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कभी नहीं ।
इसके अतिरिक्त, यदि रात्रि को वमन हो जाए तो क्या करना होगा ? मुखशुद्धि के लिए कुरला करके रात्रि भोजन का दोष लगाया जाएगा ? या चुपके हो कर बैठ जाना होगा ? इस प्रकार कहां तक नियमों को तोड़ा जाएगा ? भाव यह है कि रात्रि को जल रख कर साधु को अपना छठा व्रत नहीं भंग करना चाहिए । इसीलिए स्थानकवासी परम्परा कहती है कि साधु को रात्रि में
जैनतत्त्वादर्श (उत्तरार्द्ध ) पृष्ठ १८४ पर लिखा है कि बालक तथा स्त्री के मुख का चुम्बन करने से चौविहार व्रत भंग हो जाता है । ऐसी स्थिति में रात्रि में यदि पानी से कुरला किया जाएगा तो रात्रिभोजनविरमणव्रत स्वतः ही टूट जाएगा ।