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प्रश्नों के उत्तर .. mmmmmmmmmmmm सिद्धार्थ की महारानी माता त्रिशला के गर्भ में स्थापित : करो। शकेन्द्र महाराज की आज्ञा के अनुसार देव ने देवानन्दा ब्राह्मणी के ... गर्भ का हरण करके महारानी त्रिशला की कुक्षि में स्थापित कर . दिया, और त्रिशला के गर्भ को देवानन्दा के यहाँ पहुंचा. दिया । इस प्रकार भगवान महावीर के इस गर्भ-हरण की मान्यता स्थानकवासी परम्परा की है, किन्तु दिगम्बर परम्परा इसे स्वीकार नहीं करती। उस का विश्वास है कि भगवान महावीर का जीव देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षि में उत्पन्न ही नहीं हुआ, वह तो देवलोक से सोधा त्रिशला माता की कुक्षि में आया था।
.. स्थानकवासी परम्परा ने भगवान महावीर के गर्भहरण को . अवश्य स्वीकार किया है किन्तु इस घटना को वह दशविध आश्च- .
यों में एक पाश्चर्य के रूप में देखती है। तीर्थकर भगवान की गर्भहरण की बात अभूतपूर्व थी। अनन्त काल के. अनन्तर इस अव
सर्पिणी काल में ऐसा हुआ था, अतः स्थानकवासी परम्परा इस . गर्भहरण को एक आश्चर्य के रूप में स्वीकार करती है। आश्चर्य
शब्द के सम्बन्ध में पीछे. पृष्ठ ७४२ पर ऊहापोह किया जा
चुका है। .... .. ....... गर्भहरण की बात लोगों को कुछ असम्भव सी प्रतीत होती . .. है। किन्तु यदि गम्भीरता से विचार किया जाए तो पता चलेगा .
कि इस में असम्भव कुछ नहीं है। क्योंकि वर्तमान को देखना मनुष्य : का स्वभाव है । अतः वह वर्तमान में न दिखाई देने वाली घटना को असम्भव मानने लग जाता है । पर उस के असम्भव मान लेने मात्र से वह असम्भव नहीं हो जाती । कुछ वर्ष पहले विमानों की... बातें सुनकर लोग हंसा करते थे,और कहा करते थे कि आकाश में . . उड़ने वाला यंत्र कैसे हो सकता है ? यह सर्वथा असम्भव है, किन्तु