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प्रश्नों के उत्तर मित्र" के ३०वें अंक में अस्थिपंजरों का वर्णन करते हुए लिखा है ... कि "कोनटोलोकस" नाम का एक राक्षस १५॥ फुट ऊंचा था। फरटीग्स नाम का मनुष्य २८ फुट ऊंचा था । मुलतान शहर में वीर : दरवाजे के भीतर एक ९ गज़ की कन, अभी तक विद्यमान है, जिस से स्पष्टतया प्रकट होता है कि उस क़व वाला मनुष्य ६ गज .. यानी.१८ हाथ ऊंचा था । विलायत के एक अजायब घर में डेढ . फुट लम्बा मनुष्य का दांत रखा हुया है। विचार कीजिए, जिस मनुष्य का वह दांत है, वह स्वयं कितना बड़ा होगा ? १२ नवम्बर सन. १८६३. के गुजराती पत्र में हंगरी में मिले हुए एक राक्षसी कद के मेंढक के हाड़-पिंजर का समाचार छपा था। उस
में लिखा है कि इस मेंढक की दोनों आँखों में १८ इंच यानी डेढ - फुट का अन्तर है। जब कि आज कल लगभग एक इंच का होता .
है। उस की खोपड़ी ३१२ रतल भारी है और समस्त हाडों के. पंजर का वज़न १८६०० रतल हैं। (रतल एक प्रकार का विशिष्ट .. मान होता है)::.: . :: .. ... .. .. ..
उक्त अस्थि-पंजर लाखों वर्ष पुराने नहीं है, किन्तु कुछ हजार वर्ष पहले के हैं। फिर जैन तीर्थंकरों को हुए तो लाखों, करोड़ों वर्ष बीत गए हैं । ये अनुमान से भी कितने अधिक ऊंचे होने चाहिएं, इसका अनुमान उपर्युक्त उदाहरणों से लगाया जा सकता है । तथा भगवान ऋषभदेव तथा अजितनाथ आदि तीर्थंकरों को ... तो इतना समय व्यतीत हो चुका है कि जिसकी अंकों द्वारा गणना ... ही नहीं की जा सकती है। आज के युग में ऊंचे कद वाले मनुष्य तथा अस्थि-पंजर उपलब्ध हो रहे हैं, तो उस युग में इससे भी बहुत ऊंचे कद वाले मनुष्य तथा अस्थि-पंजर हों, तो इस में आश्च-... र्य वाली कोई बात नहीं है।