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- चतुर्दशअध्याय
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~~~~~~~~~rmirror ..प्रश्न-मूर्तिपूजक श्वेताम्बर तथा दिगम्बर “परम्परा
का प्रादुर्भाव कब हुआ ? और किन परिस्थितियों में हना ?
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. . . . . ... उत्तर-इस प्रश्न के उत्तर से पूर्व सर्वप्रथम श्वेताम्बर और दिगम्बर शब्द का अर्थ जान लीजिए । श्वेताम्बर का अर्थ हैश्वेतानि अम्बराणि यस्य स श्वेताम्बरः । अर्थात् जो श्वेत वस्त्रों को धारण करता है। श्वेताम्बर शब्द की इस व्युत्पति के आधार पर ही श्वेताम्बर साधु श्वेत-सफेद वस्त्रों का प्रयोग करते हैं। लाल,पीला, कृष्ण या पीत किसी भी वर्ग के वस्त्र का उपयोग करना इन के यहां सर्वथा त्याज्य एवं हेय होता है । केवल श्वेत-वस्त्रों को ही ये .. लोग धारण करते हैं । ..दिगम्बर का अर्थ है-दिग् एव अम्बरं यस्य स दिगम्बरः । अर्थात् - दिशाएं ही जिस के वस्त्र हों, उसे दिगम्बर कहते हैं। इसीलिए दिगम्बर साधु सर्वथा नग्न रहते हैं । वे किसी भी समय, किसी भी
प्रकार के वस्त्र का उपयोग नहीं करते हैं । सदा नवजात शिशु . . __ की भांति वस्त्ररहित रहते हैं । दिगम्बर लोग मूर्ति-पूजक होते हैं । - दिगम्वर होने से ये दिगम्बर मूर्ति का ही पूजन करते हैं । तीर्थकर . देवों की नग्न मूर्तियां ही इन के मन्दिरों में प्रतिष्ठित की जाती हैं।
श्वेताम्बर दो विभागों में विभक्त हैं-एक स्थानकवासी और दूसरे मूर्ति-पूजक । मूर्ति-पूजक श्वेताम्वर* शृंगारित मूर्ति की पूजा करते हैं । नग्न-मूर्ति का इन के मन्दिरों में पूजन नहीं होता । आभूषणों से सुसज्जित तथा विभूषित प्रतिमाएं ही इन के
...' * पंजाब के श्वेताम्बर मूर्ति-पूजक परम्परा के साधु पीले कपड़े पह- . नने लग गए हैं, अतः ये पीताम्बर कहलाते हैं। .::. ::