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प्रश्नों के उत्तर
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यहां अर्चनीय मानी जाती हैं । दिगम्बर और मूर्ति-पूजक श्वेता-.. म्बर दोनों में पूजा का विधि-विधान एक जैसा नहीं है। आंशिक समानता के होने पर भी दोनों के पूजागत विधि-विधानों में पर्याप्त.... भिन्नता पाई जाती है । ....... .
मूर्तिपूजक श्वेताम्बर और दिगम्बर इन दोनों का प्रादुर्भाव भगवान महावीर के काफी बाद हुया है । इन की उत्पत्ति का कारण - उस समय की कुछ परिस्थितियां थीं। वाडीलाल मोतीलाल शाह .. ने अपनी पुस्तक "ऐतिहासिक नोंध (पृष्ठ १८)" में उनके सम्बन्ध में कुछ जानकारी दी है । उसको आधार बनाकर तथा इस सम्बन्ध .. में प्रकाशित अन्य पुस्तकों के आधार पर उन परिस्थितियों का . प्रस्तुत में संक्षिप्त वर्णन किया जाएगा। सर्व-प्रथम मूर्ति-पूजक . श्वेताम्बर परम्परा के प्रादुर्भाव पर विचार करेंगे। . . ...... स्थानकवासी परम्परा का विश्वास है कि भगवान महावीर . - के निर्वाण के लगभग ६२० वर्ष अनन्तर जब कि १६वें पाट पर।
‘विराजमान प्राचार्यप्रवर श्री नंदला स्वामी का शासन चल रहा . . था। उस समय एक बार ५ वर्ष का, फिर.७ वर्ष का, इस प्रकार. - १२ वर्षों का एक भयंकर दुष्काल-कहत पड़ा। दुष्काल का भोषण.
परिणाम किसी से छुपा नहीं है। इस में वर्षा का अभाव हो जाता . है। वर्षा के प्रभाव से अन्नादि की उत्पत्ति का अभाव स्वाभाविकः ...
है। और अन्नादि के प्रभाव से मनुष्य, पशु आदि प्राणियों का . '. जीवित रहना भी असंभव है, फलतः इस दुष्काल से लाखों मनुष्यों .. - की हानि हुई और इस ने देश को बहुत बुरी दशा बना डाली।
....xएक पट्टावली भगवान महावीर के १६वें पाट पर माचार्य श्री वज-
. सेन जी को मानती है। . . . . . . . . . . . ... ..... .
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